26 साल की साक्षी जैन बनीं जज, बताया कामयाबी का ये गोल्डन रूल!

जब आप खुद पर भरोसा रखते हैं और आपका फोकस पूरी तरह से अपने लक्ष्य पर होता है, तो दुनिया की कोई ताकत आपको अपनी मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती. यह वाक्य़ सच साबित कर दिखाया है राजस्थान के छोटे से शहर निवई की रहने वाली साक्षी जैन ने. साक्षी जब पांच साल की थीं तब उन्होंने जज बनने का सपना देखा था और आज 20 साल बाद उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से बचपन में देखे इस सपने को सच कर दिखाया है. साक्षी राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विस की परीक्षा पास कर जज बन गई हैं.

राजस्थान हाईकोर्ट ने 27 अक्टूबर 2024 को राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विस का रिजल्ट घोषित कर दिया है. इस परीक्षा में लड़कियों का दबदबा रहा है जिनमें से एक साक्षी जैन भी हैं. साक्षी ने राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विस परीक्षा में 107वीं रैंक हासिल की है. साक्षी ने आजतक.इन के साथ अपना सफलता की कहानी शेयर की है.

साक्षी ने बताया कि जब वह छोटी थीं तब उनके यहां एक किराएदार रहा करते थे, जो कि एक जज थे. उनको रोजाना काम करता देख साक्षी ने तब ही ठान लिया था कि उन्हें इंसाफ की राह पर चलना है. स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद साक्षी ने मशहूर बनस्थली विद्यापीठ में एडमिशन लिया और यहां एलएलबी की पढ़ाई की. इसके बाद साक्षी जयपुर आईं और यहां उन्होंने एमिटी यूनिवर्सिटी से एलएलएम की डिग्री हासिल की. इसके बाद साक्षी ने राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विस परीक्षा के लिए कोचिंग शुरू कर दी. 

साक्षी ने बताया कि वह हफ्ते के छह दिन मन लगाकर पढ़ाई किया करती थीं और संडे को वह ब्रेक लेती थीं. उन्होंने बताया था कि चाहे कुछ भी हो जाए संडे वाले दिन साक्षी पढ़ाई नहीं करती थीं और बाकी के छह दिन वह किसी भी परिस्थिति में अपनी पढ़ाई के साथ कॉम्प्रोमाइज नहीं करती थीं. जब कभी उनका हौसला टूटता था तब वह यही सोचा करती थीं कि उन्हें अपने दिमाग में नेगेटिव विचार नहीं लाने हैं.

साक्षी ने कहा, “मैंने अगस्त 2022 से तैयारी शुरू कर दी थी, हाईकोर्ट ने लम्बे समय बाद यह वैकेंसी निकाली थी. यह मेरा पहला अटेंप्ट था. मैंने सोचा नहीं था कि मैं क्लियर कर लूंगी एग्जाम लेकिन खुदपर भरोसा होना जरूरी है. मुझे कभी डिमोटिवेशन होता था, कभी पढ़ने का मन नहीं करता था, कई बार मुझे सेल्फ डाउट भी होता था कि मैं कर पाऊंगी या नहीं लेकिन मैंने सोचा था कि अभी नहीं तो कभी नहीं, मैं लगातार मेहनत करती रही, मैंने अपना 100 प्रतिशत दे दिया था”.

साक्षी ने आगे कहा, “मैं अपने दोस्तों के साथ भी बहुत कम बाहर जाती थी मैं पढ़ती-रहती थी. मेरा कोई टाइमटेबल नहीं था कि इतने बजे या इतने घंटे पढ़ाई है. मेरा था कि मुझे आज इतने टॉपिक कवर करने हैं जो मैं किया करती थी. मैं संडे को खुदको हमेशा फ्री रखती थी, बस कोचिंग में टेस्ट होता था जब जाती थी”. साक्षी ने बताया कि उनके बड़े भाई सीए हैं. भाई ने भी साक्षी को हमेशा से पढ़ाई करने के लिए मोटिविट किया है.

साक्षी ने बताया कि उनका प्रीलिम्स और मेन्स निकल गया तब वह इंटरव्यू की तैयारी में लग गई थीं. उन्होंने कहा, “इंटरव्यू में मुझसे लॉ के सवाल ही पूछे गए थे. जीके के भी सवाल थे. लेकिन हर कैंडिडेट से अलग सवाल पूछे जाते हैं, जैसे करेंट अफेयर्स, राजस्थान का कल्चर आदि. रीजनिंग से ज्यादा लॉ पर फोकस किया. मेरा सवाल यह था कि घरेलु हिंसा एक्ट होता है, वो क्या विदेशी महिलाओं पर लागू होता है.

साक्षी ने बताया कि अब इसके बाद जोधपर की राजस्थान ज्यूडिशियल एकेडमी में चुने गए सभी कैंडिडेट की ट्रेनिंग होगी इसके बाद किसी जज के साथ काम करने का मौका मिलेगा. जब काम सीख जाएंगे उसके बाद किसी कोर्ट में जज के पद पर नियुक्ति होगी और फिर इंडीपेंडेंट चार्ज दे दिया जाएगा. 

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