22 राज्यों को 3.6 लाख करोड़ रुपये की 50-वर्षीय ब्याज-मुक्त सहायता: निर्मला सीतारमण

केंद्र ने टियर-2 शहरों में जीसीसी को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय रूपरेखा का प्रस्ताव किया था। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें, उद्योग संगठन और वैश्विक कंपनियां मिलकर देश की जीसीसी क्षमता को और मजबूत कर सकती हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि अब तक 22 राज्यों को 50 साल की ब्याज-मुक्त सहायता के तहत लगभग 3.6 लाख करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।

सीतारमण ने यहां सीआईआई जीसीसी बिजनेस समिट को संबोधित करते हुए कहा कि देश में पूंजीगत निवेश (राज्यों समेत) बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.1 प्रतिशत हो गया जबकि वित्त वर्ष 2013-14 में यह सिर्फ 1.7 प्रतिशत था।

सीतारमण ने कहा, “केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को 50 साल की ब्याज-मुक्त सहायता भी प्रदान की है ताकि वे अपनी पूंजीगत संपत्तियों को बढ़ा सकें और उन पर खर्च के लिए धन जुटा सकें। केंद्र ने सभी राज्यों को 50 साल की ब्याज-मुक्त राशि दी है और अब तक कुल मिलाकर लगभग 3.6 लाख करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। यह पिछले चार वर्षों की बात है।

उन्होंने कहा, अब तक 22 राज्यों ने इसका इस्तेमाल किया है, जिससे उनके अपने संसाधनों से पूंजीगत व्यय में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज हुई है।” वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में 88 हवाई अड्डे चालू हुए, करीब 31,000 किलोमीटर की नई रेल पटरियां बिछाई गईं, मेट्रो नेटवर्क चार गुना बढ़ा, बंदरगाह क्षमता दोगुनी हुई और राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में 60 प्रतिशत का विस्तार हुआ है।

उन्होंने कहा कि केंद्र ने बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर पहल की है। सीतारमण ने वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के संदर्भ में कहा कि राज्य सरकारें निवेश आकर्षित करने और नीतिगत माहौल बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।

वित्त मंत्री ने बताया कि पिछले बजट में केंद्र ने टियर-2 शहरों में जीसीसी को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय रूपरेखा का प्रस्ताव किया था। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें, उद्योग संगठन और वैश्विक कंपनियां मिलकर देश की जीसीसी क्षमता को और मजबूत कर सकती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे न केवल भारत की जीसीसी क्षेत्र में नेतृत्वकारी स्थिति सुदृढ़ होगी बल्कि नवाचार, रोजगार सृजन और क्षेत्रीय विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा, जो अंततः विकसित भारत 2047 संकल्प में योगदान देगा।

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