जन सुराज के सीएम कैंडिडेट नहीं बनेंगे प्रशांत किशोर, तो पार्टी में करेंगे क्या?

राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए चुनावी रणनीति बनाने और उसे लागू करवाने के उस्ताद रहे प्रशांत किशोर ने कहा है कि वो जन सुराज अभियान से बनने जा रही पार्टी के मुख्यमंत्री पद (Jan Suraaj CM Candidate) के उम्मीदवार नहीं होंगे। गांधी जयंती पर 2 अक्टूबर को जन सुराज की पार्टी का ऐलान हो जाएगा। चुनावी रणनीतिकार के तौर पर पीके के नाम से मशूहर प्रशांत किशोर खुद को जन सुराज का नेता नहीं बल्कि सूत्रधार मानते हैं। उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर को पार्टी के लोग नेता का चुनाव करेंगे और तब बताया जाएगा कि नई पार्टी आगे कैसे चलेगी। उन्होंने पर्दे के पीछे से पार्टी चलाने की मंशा को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी में प्रशांत किशोर की भूमिका भी तय होगी। 

प्रशांत किशोर ने कहा कि 2 अक्टूबर को पार्टी गठन के बाद वो 3 अक्टूबर से फिर गांव-गांव में पदयात्रा करते नजर आएंगे। उन्होंने कहा कि वो विधानसभा चुनाव तक लोगों को समझाते रहेंगे कि इस चुनाव वो अपने बच्चों की शिक्षा और रोजगार के लिए वोट दें। लाइव सिटीज के साथ एक इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने खुद के सीएम कैंडिडेट होने की संभावना पर साफ कहा- “बिल्कुल नहीं हैं। पार्टी को बनने तो दीजिए। मैं एक समय में एक कदम उठाता हूं।” 

उन्होंने आगे कहा कि ये भी नहीं होगा कि प्रशांत किशोर कोई भूमिका नहीं लेंगे, जिससे लोग कहें कि ये पीछे से पार्टी चलाएंगे। उनकी भूमिका भी तय है। 3 अक्टूबर से वो गांव में पैदल चलेंगे। यही भाषण करेंगे कि इस बार वोट अपने बच्चों की पढ़ाई और रोजगार के लिए दो। ये नहीं कहेंगे कि वोट जन सुराज को दो। उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर को बिहार के एक करोड़ लोग मिलकर पार्टी बना रहे हैं। इनका नाम और नंबर भी जारी होगा। इसमें कोई फर्जीवाड़ा नहीं होगा। पंचायत से राज्य तक पार्टी के संगठन में 4.50 लाख पदाधिकारी होंगे। 2 अक्टूबर को पार्टी के लोग बैठकर चुनाव करेंगे। नेता का चुनाव करेंगे। लीडरशिप काउंसिल बनेगी। संविधान बनेगा। पहली बार देश में खुले मंच से चुनाव होगा, संविधान पर चर्चा होगी और उसे स्वीकार किया जाएगा। 

चुनाव में जन सुराज के चेहरा के सवाल पर प्रशांत किशोर कहते हैं- “मैंने कहा था कि 2 साल लगे, 3 साल लगे, मैं पहले एक सशक्त विकल्प बनाने में बिहार में लोगों की मदद करूंगा, वो कर रहा हूं। दल 2 अक्टूबर को बनने जा रहा है। मैंने कहा था कि मैं इसका नेता नहीं बनूंगा। 2 तारीख को जब लाखों लोग अपना नेतृत्व चुनेंगे, तब आपको चेहरा दिखेगा कि कौन लोग इसका नेतृत्व कर रहे हैं। प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर के बाद भी वही करेंगे, जो वो दो साल से कर रहे हैं। पदयात्रा में रहूंगा. गांव-गांव चलता रहूंगा। जब तक वोट नहीं होगा तब तक उनको समझाता रहूंगा कि इस बार वोट अपने बच्चे के लिए देना है।” 

प्रशांत किशोर ने कहा कि वो जन सुराज की मदद करेंगे। उन्होंने नीतीश कुमार और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का हवाला देते हुए कहा कि वो वही काम कर रहे हैं जो पहले करते थे। उन्होंने कहा कि 2015 में उन्होंने जेडीयू को संगठित होने में, बेहतर तरीके से चुनाव लड़ने में, स्लोगन देने में, सात निश्चय बनाने में, नीतीश का चेहरा बनाने में मदद की। पीके ने कहा कि पार्टी बन जाएगी तो वो पार्टी और उसके नेतृत्व को चुनाव लड़ाकर जिताने की भूमिका में आ जाएंगे। बाकी जो कर रहे हैं, वो आगे भी करते रहेंगे।

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