ऊपर पुलिस की वर्दी, नीचे पायजामा… डिजिटल अरेस्ट कर 6000 इंडियंस को ठगने वाले का इंडिया टुडे के स्टिंग में हुआ खुलासा

पिछले कुछ दिनों से डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड से जुड़े मामले लगातार सामने आए हैं. अब इंडिया टुडे की स्टिंग में इन अपराधियों का खुलासा हुआ है. इंडिया टुडे नेटवर्क ने ऐसे जालसाजों की एक्सक्लूसिव तस्वीरें हासिल की हैं, जिन्होंने खुद को भारतीय पुलिस अधिकारी बताकर 6000 से ज्यादा भारतीयों को ठगा है. इंडिया टुडे ग्रुप द्वारा हासिल की गई तस्वीरों में पुलिस की वर्दी के नीचे पायजामा पहने हुए नकली अधिकारी दिल्ली पुलिस ऑफिसर बनकर निर्दोष भारतीयों को धमकाते हुए नजर आ रहे हैं. पीड़ितों को फर्जी समन दिए जाते हैं और उनसे करोड़ों की लूट की जाती है.

इस तरह के साइबर फ्रॉड में हाई-प्रोफाइल प्रोफेशनल्स, ब्यूरोक्रेट्स, जज, बिजनेसमैन और यहां तक कि सेना के अधिकारी तक को निशाना बनाया जा रहा है. इस स्कैम में अक्सर ठग अपने आपको सरकारी अधिकारी के रूप में पेश करते हैं, और खासतौर पर वे किसी जांच एजेंसियों से होने का दावा करते हैं.

जालसाजी करने वाले फोन कॉल के जरिए से लोगों से संपर्क करते हैं और बाद में व्हाट्सएप और स्काइप पर वीडियो कॉल करके पीड़ित के साथ ठगी करते हैं. अपने हालिया “मन की बात” प्रोग्राम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों को इस स्कैम से सावधान रहने की सलाह दी थी. उन्होंने लोगों को इस तरह के स्कैम का सामना करने पर “रुको, सोचो और एक्शन लो” का मंत्र भी दिया. पीएम मोदी ने यह भी कहा कि कानून में “डिजिटल अरेस्ट” जैसी कोई चीज नहीं है.

डिजिटल अरेस्ट के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए, इंडिया टुडे की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया. जांच तब शुरू की गई जब एक कूरियर कंपनी ने इंडिया टुडे के रिपोर्टर से कॉन्टेक्ट किया और दावा किया कि उनके नाम का एक पार्सल मुंबई में फंस गया है. दावे के मुताबिक, डीएचएल कर्मचारी होने के दावे के साथ फोन कॉल में स्कैमर ने बताया कि पार्सल मुंबई से बीजिंग भेजा गया था, जिसकी डिलीवरी नहीं हो पाई.

कॉल पर, फर्जी अधिकारी ने ड्रग तस्करी पर चिंता जताते हुए पार्सल के बारे में रिपोर्टर से पूछताछ की. फर्जी पुलिस अधिकारी ने रिपोर्टर को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देने के साथ कहा, ‘अगर 10 ग्राम भी मिला, तो आपको 3-7 साल की सजा होगी और आपके पार्सल में 400 ग्राम पदार्थ है.’ हैरान होते हुए रिपोर्टर ने जवाब दिया कि पार्सल से उनका कोई संबंध नहीं है.

डिजिटल अरेस्ट स्कैम में, आमतौर पर, ठग पुलिस अधिकारियों या कस्टम अधिकारी होने का दावा करते हैं. एक बार जब ऑडियो कॉल वीडियो में बदल जाती है, तो पीड़ितों को अक्सर एक पुलिस स्टेशन जैसा सेटअप दिखाया जाता है, जिसे उन्हें यह विश्वास दिलाने के लिए डिजाइन किया जाता है कि वे वैध अधिकारी के साथ बात कर रहे हैं.

पीड़ित पर अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया जाता है, एक दावा जिसका इस्तेमाल घोटालेबाज यह झूठा दावा करने के लिए करते हैं कि शख्स को अरेस्ट कर लिया गया है. वे डिजिटल अरेस्ट के अपने दावों का समर्थन करने के लिए गढ़े हुए दस्तावेज भी पेश करते हैं.

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