उत्तर प्रदेश के पीजीआई लखनऊ अस्पताल की एक डॉक्टर भारत में डिजिटल अरेस्ट या साइबर अरेस्ट के सबसे बड़े फ्रॉड का शिकार बन गई हैं। डॉक्टर रुचिका टंडन को साइबर ठगों ने 7 दिन तक झांसे में रखकर धीरे-धीरे 2.81 करोड़ रुपए ठग लिए। डॉक्टर टंडन ने कई दिन बाद इंटरनेट पर इसी तरह से ठगी के कई मामले देखे तो साइबर क्रिमिनल्स के फैलाए डर से बाहर निकल पाईं और पुलिस के पास पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई है। देश में इस समय खौफनाक बन चुके मनी लांड्रिंग केस का खौफ दिखाकर टंडन को डिजिटल अरेस्ट बताया और बाकायदा ऑनलाइन कोर्ट और मुकदमा भी चला। इसी हफ्ते एक रिपोर्ट आई है जिसमें बताया गया है कि पिछले चार महीने में देश भर में डिजिटल अरेस्ट का भय दिखाकर साइबर ठगों ने आम लोगों को 120 करोड़ रुपए की चपत लगा दी है।
डॉक्टर टंडन ने भारत समाचार चैनल से बातचीत में बताया कि उन्हें सुबह 8 बजे एक फोन आया कि उनके नंबर पर साइबर सेल में लोगों को परेशान करने वाले मैसेज के कई केस दर्ज हैं। फिर उन्होंने कॉल ट्रांसफर कर दिया और बताया कि जिन्हें कॉल ट्रांसफर किया गया है, वो आईपीएस अफसर हैं। उसके बाद उन्हें बताया गया कि उनके बैंक खाते पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस है और उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश मुंबई से मिला है। ये राष्ट्रीय सुरक्षा का केस है इसलिए इस बात को गोपनीय रखना है, किसी को बताना नहीं है। आपको अब डिजिटल कस्टडी में रहना होगा।
डॉक्टर ने बताया कि इसके बाद अगले छह-सात दिन तक ऑनलाइन तरीके से कोर्ट में फर्जी केस चलाया। एक नया फोन खरीदवाया गया और उस पर वीडियो कॉल के ऐप डाउनलोड करवा दिए। वीडियो पर वो निगरानी रखते थे। ठगों ने अलग-अलग बैंक खाते के नंबर दिए और कहा कि इन खातों में पैसे भेजिए। जांच में आप निर्दोष निकलीं तो सारे पैसे वापस आ जाएंगे। डॉक्टर ने बताया कि सात-आठ दिन बाद उन्होंने पता किया और फिर कुछ न्यूज रिपोर्ट देखी तो उन्हें समझ आया कि उनके साथ ठगी हो गई है। डॉक्टर को झांसा दिया गया था कि आपको गलती से किसी ने केस में फंसा दिया है। पुलिस और कोर्ट जांच में गलत पाती है तो सारे पैसे वापस कर दिए जाएंगे।