पूर्व CJI चंद्रचूड़ के पसंदीदा क्रिकेटर्स कौन-कौन हैं? बोले- अब उम्र बहुत ज्यादा…

पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को रिटायर हुए 15 दिन से ज्यादा हो गए हैं। अब पूर्व सीजेआई घर पर ऑस्ट्रेलियाई में चल रही बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (बीजीटी) का लुत्फ उठा रहे हैं। साथ ही, चंद्रचूड़ ने यह भी राज खोला है कि उनके पसंदीदा वर्तमान क्रिकेटरों में जसप्रीत बुमराह और विराट कोहली हैं। उन्होंने क्रिकेट को अपना पसंदीदा गेम बताया है। बता दें कि सीजेआई के तौर पर दो साल के कार्यकाल के बाद चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हुए। उनके बाद संजीव खन्ना सीजेआई बने हैं। शीर्ष अदालत में अपने कार्यकाल के दौरान चंद्रचूड़ ने 500 से अधिक फैसले सुनाए और 38 संविधान पीठ के मामलों की सुनवाई की, जिसमें अयोध्या भूमि विवाद, अनुच्छेद 370 आदि जैसे अहम मामले शामिल हैं।

‘एनडीटीवी इंडिया’ के एक कार्यक्रम में बात करते हुए, पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि क्रिकेट खेलने के लिए समय नहीं मिलता था और शायद अब उम्र भी ज्यादा हो गई है। मैं क्रिकेट में बहुत दिलचस्पी रखता हूं। आज भी जो इंडिया और ऑस्ट्रेलिया का प्रसारण था, उसका लाइव प्रसारण तो नहीं देख पाता, लेकिन शाम को पांच-सात मिनट हाईलाइट्स रोज देखता था। विराट कोहली ने कैसा खेला है, अश्विन ने बॉलिंग कैसी की है। बुमराह ने अच्छी गेंदबाजी की है या नहीं। पर्थ में अच्छी गेंदबाजी की। जब उनसे पसंदीदा क्रिकेटर पूछा गया तो सीजेआई ने कहा, ”वर्तमान में जसप्रीत बुमराह और विराट कोहली हैं। लेकिन इससे पहले मैं राहुल द्रविड़ को बहुत मानता हूं।” इस पर एंकर ने कहा कि आप उनकी तरह दिखते भी हैं, जिसपर पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ बिना मुस्कुराए नहीं रह सके।

‘सोशल मीडिया के जरिए नतीजे प्रभावित करने का प्रयास कर रहे विशेष हित समूह’

वहीं, डी वाई चंद्रचूड़ ने रविवार को कहा कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल विशेष हित समूहों द्वारा मामलों के नतीजों को प्रभावित करने के लिए किया जा रहा है और न्यायाधीशों को उनसे सावधान रहने की जरूरत है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि आजकल लोग यूट्यूब या किसी अन्य सोशल मीडिया मंच पर देखे गए 20 सेकंड के वीडियो के आधार पर राय बना लेते हैं और कहा कि यह बहुत बड़ा खतरा है। उन्होंने एनडीटीवी इंडिया के ‘संविधान ऐट 75 कॉन्क्लेव’ में कहा, ”आज कुछ विशेष हित समूह, दबाव समूह हैं जो अदालतों की राय और मामलों के नतीजों को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं। प्रत्येक नागरिक को यह समझने का अधिकार है कि किसी निर्णय का आधार क्या है और अदालत के निर्णयों पर अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है। हालांकि जब यह अदालत के निर्णयों से परे चला जाता है और किसी न्यायाधीश को निशाना बनाता है, तो यह मौलिक प्रश्न उठाता है- क्या यह वास्तव में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है?”

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