रूस में व्लादिमिर पुतिन ने पीएम मोदी की खूब आवभगत की. भारत का यह सम्मान पश्चिम की आंखों में किरकिरी बन गया. इससे पहले दुनिया तब चौंकी थी जब पांचवीं बार राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन चीन दौरे पर गए थे. रूस-यूक्रेन युद्ध के इस मोड़ पर ग्लोबल साउथ के दो बड़े लीडरों से पुतिन की ये मुलाकात कई मायनों में खास है. माना तो ये जा रहा है कि ये मुलाकात पुतिन के बड़े प्लान का हिस्सा है.
अमेरिका और यूरोप लगातार रूस को अलग-थलग करने की कोशिश में जुटा है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच तरह तरह के प्रतिबंध लगातार पश्चिम ने पूरी कोशिश की, कि रूस की कमर तोड़ दी जाए. मगर चाहे स्विटजरलैंड में हुआ यूक्रेन का शांति शिखर सम्मेलन हो या रूस में आयोजित ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक. हर मोर्चे पर रूस ताकतवर बनकर उभरा है. माना ये जा रहा है कि पुतिन ग्लोबल साउथ को साथ लाकर पश्चिम को पानी पिलाना चाहते हैं. ये तभी संभव होगा जब भारत और चीन रूस के साथ होंगे. आइए समझते हैं कैसे.
क्या है ग्लोबल साउथ?
ग्लोबल साउथ में 130 से अधिक देश शामिल हैं. आसान भाषा में समझें ग्लोबल साउथ का मतलब दुनिया के उन देशों से है जो विकासशील हैं या कम विकसित हैं. इसका क्षेत्र से संबंध नहीं है. यानी कि ग्लोबल साउथ का ये अर्थ नहीं कि ये देश साउथ में हैं. इन देशों को तीसरी दुनिया भी कहा जाता है. अगर आबादी की बात करें तो इन देशों की कुल आबादी तकरीबन 6 अरब है. भारत, चीन, पाकिस्तान इंडोनेशिया, ब्राजील और अफ्रीका के कुछ देश ग्लोबल साउथ के बड़े लीडर माने जाते हैं.