क़ृषि वैज्ञानिकों ने किया कृषकों के फार्म का परीक्षण

सुकमा ।  केवीके के कृषि वैज्ञानिकों ने सुकमा विकासखंड के मुरतोंडा और अधिकारी रास में किसानों के खेतों का नैदानिक भ्रमण किया गया। इस भ्रमण का नेतृत्व कृषि विज्ञान केंद्र सुकमा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख एच. एस. तोमर, पौध रोग विशेषज्ञ राजेंद्र प्रसाद कश्यप तथा कीट वैज्ञानिक डॉ. योगेश कुमार सिदार ने किया।

भ्रमण के दौरान किसान राजेश नाग के खेत में बैंगन की फसल में तना एवं फल छेदक कीट, खीरे की फसल में लाल कद्दू कीट तथा बरबटी की फसल में माहू का प्रकोप देखा गया। वहीं, किसान मित्र धरम नाग के फार्म में मक्का की फसल में सैनिक कीट का प्रकोप पाया गया।

इसके अलावा धरम नाग के खेत में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कीट वैज्ञानिक डॉ. योगेश कुमार मेश्राम द्वारा मक्का व मिर्च की फसल में लगने वाले शत्रु कीट एवं मित्र कीट की पहचान, उनकी अवस्थाओं तथा जैविक नियंत्रण के उपायों की जानकारी दी गई।

कीट नियंत्रण हेतु वैज्ञानिकों की सलाह:

वैज्ञानिकों ने कीट की पहचान कर किसानों को प्रारंभिक लक्षण दिखाई देने पर नीम तेल का छिड़काव करने की सलाह दी गई।

यदि कीट प्रकोप अधिक हो जाए, तो निम्नलिखित कीटनाशकों में से किसी एक का छिड़काव करेंरू 1) इमामेक्टिन बेंजोएट 5ः एसजी दृ 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी2) प्रोफ़ेनोफ़ॉस 40ः $ साइपरमैथ्रिन 4ः ईसीदृ 30 मिलीलीटर प्रति 15 लीटर पानी 3) थायमथॉक्सम 25ः वीजीदृ 6 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी

चूंकि ये कीट प्रायः सुबह के समय अधिक सक्रिय रहते हैं, इसलिए दवा का छिड़काव प्रातःकाल करना अधिक प्रभावी होगा।

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