पीलिया के इलाज में झाड़ फूंक चिकित्सकीय रूप से प्रभावी नहीं : डॉ अजय सहाय

“गरीबों के मसीहा” के नाम से प्रसिद्ध डॉ अजय सहाय रायपुर में वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञ हैं
रायपुर। अंचल में गरीबों के मसीहा के नाम से प्रसिद्ध प्रो डॉ अजय सहाय ने विश्व हेपेटाइटिस दिवस (28जुलाई) के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि हर साल दुनिया भर में 13 लाख लोग हेपेटाइटिस यानी पीलिया के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं। लगभग 30 करोड़ लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस बी या सी से पीड़ित हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती।

हेपेटाइटिस वायरस से फैलने वाला रोग है जो कई प्रकार का होता है – ए, बी, सी,डी, इ आदि। हेपेटाइटिस का मतलब है लीवर में सूजन। लीवर में सूजन की वजह से खून में बिलिरुबिन नामक पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है जिससे आंखे चमड़ी और पेशाब पीले हो जाते हैं। पीलिया लीवर के अलावा पित्ताशय या रक्त संबधी किसी रोग का संकेत हो सकता है। नवजात शिशुओं में पीलिया जन्मजात हो सकता है।। अत्यधिक शराब या विषाक्त दवाओं के सेवन से भी पीलिया हो सकता है।

हेपेटाइटिस ए एवं ई दूषित पानी या खाद्य पदार्थों से फैलते हैं जबकि बी और सी असुरक्षित यौन संबंधों और संक्रमित खून से फैल सकता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर यह देखा गया है कि पीलिया का नाम सुनते ही लोग झाड़ फूंक, टोना टोटका और तंत्र मंत्र करवाने में व्यस्त हो जाते हैं। सच्चाई यह है कि ये सब वैज्ञानिक या चिकित्सकीय रूप से प्रभावी नहीं हैं। बल्कि कभी कभी ये खतरनाक भी साबित हो सकते हैं, क्योंकि इलाज में देरी या लापरवाही की वजह से रोगी की हालत और बिगड़ सकती है। सही समय पर सही जांच न होने पर मूल कारण छिपा रह सकता है।कई बार झाड़ फूंक करने वाले लोग गलत जड़ी बूटियां या पदार्थ दे देते हैं जो लीवर को ओर ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं।
“हेपेटाइटिस इंतजार नहीं
करता ” यह सन 2025 की थीम है। इसका अर्थ यह है कि देरी करने पर गंभीर खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
इसलिए समय समय पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। पीलिया को जल्दी से जल्दी पहचानिए, बचाव कीजिए और अपने लीवर को दीजिए नई जिंदगी।

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