ये है पापंकुशा एकादशी की व्रत कथा

आज यानी 3 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। श्री हरि नारायण भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित एकादशी व्रत हिन्दू धर्म में ख़ास महत्व रखता है। एकादशी तिथि हर महीने दो बार पड़ती है। ऐसा कहा जाता है कि, इस व्रत को करने से जीवन के सभी अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, इस दिन जो व्यक्ति उपवास रखते हैं, उन्हें एकादशी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए, क्योंकि इसके बिना पूजा पूरी नहीं होती है, तो आइए यहां पढ़ते हैं।

ये है पापंकुशा एकादशी की व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पापंकुशा एकादशी को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं, जिसमें से एक का जिक्र यहां किया गया है। विंध्याचल पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था। वह बड़ा क्रूर था। उसका सारा जीवन हिंसा, लूटपाट और गलत संगति में ही बीता था।

एक दिन अचानक उसे जंगल में तपस्या करते हुए अंगिरा ऋषि से मिला। उसने अंगिर ऋषि से कहा मेरा कर्म बहेलिया का है इस कारण मुझे न जानें कितने ही निरीह पशु-पक्षियों मारना पड़ा है। मैनें जीवन भर पाप कर्म ही किए हैं, इसलिए मुझे नर्क ही जाना पड़ेगा।

कृपा कर मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मेरे सारे पाप मिट जाएं और मोक्ष की प्राप्ति हो। उसकी प्रार्थना को सुनकर महर्षि अंगिरा ने उसे आश्विन शुक्ल की पापांकुशा एकादशी का व्रत करने के लिए कहा।

महर्षि के कहे अनुसार, उस बहेलिए ने पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा और भगवान श्री हरि की विधिवत पूजा की। विष्णु भगवान के आशीर्वाद से बहेलिया के सारे पाप नष्ट हो गए। वहीं, जब यमदूत बहेलिए को यमलोक लेने के लिए आए, तो वह इस चमत्कार को देखकर हैरान हो चुके थे कि पापांकुशा एकादशी व्रत के प्रभाव से बहेलिए के सभी समाप्त हो चुके हैं। जिसके चलते यमदूतों को खाली हाथ यमलोक लौटना पड़ा और बहेलिया को भगवान विष्णु की कृपा से बैकुंठ धाम की प्राप्ति हुई।

जानिए पापांकुशा एकादशी व्रत का महत्व

यह कथा बताती है कि यह एकादशी कितनी फलदायी है। जो मनुष्य इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, समृद्धि, निरोगता प्राप्त होती है। कहा जाता है कि, इस दिन व्रत करने वाला व्यक्ति आखिरी समय मोक्ष को प्राप्त कर स्वर्ग लोक में स्थान पाता है।

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