उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण का महत्वपूर्ण कार्य पूरा कर लिया है। इसमें इस बार भारी संख्या में नए मतदाताओं के नाम जुड़े हैं। इसके साथ ही फर्जी वोटिंग रोकने के लिए दो बड़े फैसले लिए गए हैं। पंचायत चुनाव को पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग बड़े तकनीकी बदलाव करने जा रहा है।लखनऊ में आयोजित एक प्रेसवार्ता के दौरान राज्य निर्वाचन आयुक्त आरपी सिंह ने बताया कि प्रदेश की पंचायत मतदाता सूची में इस बार 40.19 लाख नए वोटरों की बढ़ोतरी हुई है।
आयोग के आंकड़ों के अनुसार, यह पिछले आंकड़ों के मुकाबले कुल 3.26 प्रतिशत की वृद्धि है। निर्वाचन आयुक्त ने घोषणा की कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण कार्य संपन्न हो चुका है और आगामी 23 दिसंबर को इसकी ड्राफ्ट सूची सार्वजनिक कर दी जाएगी।
स्टेट वोटर नंबर
आयोग ने निर्णय लिया है कि प्रदेश के प्रत्येक पंचायत मतदाता को एक विशिष्ट ‘स्टेट वोटर नंबर’ आवंटित किया जाएगा। यह नंबर मतदाता की पहचान को विशिष्ट बनाएगा और डेटा प्रबंधन में त्रुटियों की संभावना को खत्म करेगा। इससे एक ही व्यक्ति का नाम दो अलग-अलग क्षेत्रों की सूची में होने जैसी समस्याओं का समाधान हो सकेगा।
फेसियल रिकग्निशन सिस्टम
चुनाव प्रक्रिया में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव ‘फेसियल रिकग्निशन सिस्टम’ के रूप में देखने को मिलेगा। इस तकनीक के लागू होने से मतदान केंद्रों पर मतदाताओं के चेहरे की पहचान की जाएगी। आयुक्त आरपी सिंह ने स्पष्ट किया कि इस प्रणाली के आने से फर्जी मतदान पर पूरी तरह लगाम लगेगी। यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे के नाम पर वोट डालने की कोशिश करेगा, तो सिस्टम तुरंत उसे पकड़ लेगा।
23 दिसंबर को जारी होगी ड्राफ्ट सूची
राज्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि पुनरीक्षण के बाद तैयार की गई ड्राफ्ट सूची का प्रकाशन 23 दिसंबर को किया जाएगा। इसके बाद मतदाताओं को अपना नाम चेक करने और यदि कोई त्रुटि है, तो उस पर दावा या आपत्ति दर्ज कराने का समय दिया जाएगा।
आयोग का लक्ष्य है कि युवाओं और नए पात्र मतदाताओं को ज्यादा से ज्यादा संख्या में जोड़ा जाए, जिसके परिणामस्वरूप इस बार 40 लाख से अधिक नए नाम शामिल हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतंत्र की इस बुनियादी कड़ी को मजबूत करने के लिए आयोग अब अंतिम तैयारियों में जुटा है। फेसियल रिकग्निशन और डिजिटल डेटाबेस के उपयोग से उत्तर प्रदेश के आगामी पंचायत चुनाव देश के लिए एक उदाहरण बन सकते हैं।