दिल्ली हाई कोर्ट ने इनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमे को रद्द करने से इनकार कर दिया है। केजरीवाल ने भाजपा नेता राजीव बब्बर की ओर से 2019 में दर्ज कराए गए मुकदमे को रद्द करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
बब्बर ने अरविंद केजरीवाल और आतिशी समेत अन्य आप नेताओं को भाजपा को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने केजरीवाल और आतिशी के उस दावे को लेकर ऐसा किया जिसमें आप नेताओं ने भाजपा पर आरोप लगाया था कि पार्टी ने दिल्ली में मतदाता सूची से 30 लाख नाम हटा दिए जिनमें मुख्यतौर पर ‘बनिया, मुस्लिम’ समुदाय के लोग हैं। भाजपा नेता ने केजरीवाल और आतिशी के अलावा सुशील कुमार गुप्ता और मनोज कुमार के खिलाफ शिकायत की थी।
बार एंड बेंच के मुताबिक, जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने कहा कि लोकतंत्र में जनता को सच और सही सूचना जानने का अधिकार है, लेकिन राजनेताओं की ओर से कीचड़ उछाले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। मौजूदा केस में आम आदमी पार्टी की ओर से भाजपा पर लगाए गए आरोप मानहानिकारक हैं और बीजेपी को बदनाम करके राजनीतिक बढ़त हासिल करने के उद्देश्य से लगाए गए।
बब्बर ने अदालत को बताया कि ‘आप’ नेताओं ने दिसंबर 2018 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और आरोप लगाया कि भाजपा के कहने पर करीब 30 लाख बनिया, पूर्वांचली और मुस्लिम वोटर्स के के नाम चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से निकाल दिए। बब्बर ने कहा कि मतदाता सूची से नाम हटाए जाने के आरोप से उनकी पार्टी की छवि धूमिल हुई। मजिस्ट्रेट ने केजरीवाल और अन्य के खिलाफ मार्च 2019 में समन जारी किया था। आप नेताओं ने इसके खिलाफ सेशंस कोर्ट का रुख किया लेकिन वहां राहत नहीं मिलने के बाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए 28 फरवरी 2022 को कार्यवाही पर स्टे लगा दिया था।