खैरागढ़। जिला मुख्यालय में 64.77 लाख रुपये की दुकान नीलामी में अनियमितताओं का खुलासा होने के बाद नगर पालिका ने 11 दुकानों की नीलामी भले ही निरस्त कर दी हो, शासन ने CMO और राजस्व प्रभारी को निलंबित भी कर दिया हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. नीलामी रद्द होने के बावजूद मणिकंचन केंद्र धरमपुरा और फतेह मैदान परिसर की अधिकांश दुकानों पर अब भी बोलीकर्ताओं का कब्जा कायम है, जिससे पूरे मामले पर नए और गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.
, नीलामी निरस्त होने के बाद भी कई दुकानों के ताले तक नहीं खुले. हैरानी की बात यह है कि कुछ बोलीकर्ताओं ने इन दुकानों को आगे एक-एक साल के लिए किराए पर भी दे दिया है. यानी जिस नीलामी को शासन और नगर पालिका ने अवैध और नियमविरुद्ध माना, उसी के आधार पर सार्वजनिक संपत्ति का खुलेआम व्यावसायिक उपयोग जारी है. इससे यह संदेह और गहरा गया है कि कहीं नीलामी निरस्तीकरण सिर्फ फाइलों तक ही सीमित तो नहीं रह गया.
सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि नगर पालिका प्रशासन को इस पूरे हालात की जानकारी होने के बावजूद अब तक न तो दुकानों को सील किया गया है और न ही कोई ठोस बेदखली कार्रवाई सामने आई है. जानकारों का साफ कहना है कि यदि नीलामी अवैध थी, तो उस पर आधारित कब्जा भी स्वतः अवैध है. ऐसे में पालिका की चुप्पी कहीं न कहीं मिलीभगत और संरक्षण की आशंका को और मजबूत करती है.