सर्दी के साथ बढ़ा हवा का प्रदूषण, लखनऊ में एक्‍यूआई 319 ; जानें प्रमुख शहरों का हाल

सर्दी के साथ हवा का प्रदूषण भी बढ़ रहा है। मंगलवार को शाम तीन बजे राजधानी लखनऊ के लालबाग का वायु गुणवत्‍ता सूचकांक (एक्‍यूआई) 319 तक पहुंच गया जिसे खराब माना जाता है। लखनऊ के अलावा मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, कानपुर सहित कई शहरों में एक्‍यूआई का स्‍तर मानकों के मुताबिक अच्‍छी श्रेणी में नहीं पाया गया है। मेरठ के जयभीमनगर में शाम तीन बजे एक्‍यूआई 259 दर्ज किया गया। गाजियाबाद के वसुंधरा में 311 एक्‍यूआई पाया गया। नोएडा के सेक्‍टर 116 में 247 एक्‍यूआई पाया गया।

केद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार लखनऊ के तालकटोरा में 279, लालबाग में 319, केंद्रीय विद्यालय क्षेत्र में 286, गोमतीनगर में 187 और बीआर अंबेडकर विवि क्षेत्र में 207 एक्‍यूआई पाया गया है। गाजियाबाद के वसुंधरा में 311, इंदिरापुरम में 229, लोनी में 272 एक्‍यूआई दर्ज किया गया। बरेली के राजेन्‍द्रनगर में 136 एक्‍यूआई दर्ज किया गया। आगरा के मनोहरपुर में 119, रोहता में 100, संजय पैलेस के पास 140, सेक्‍टर 3 बी आवास विकास में 14, शाहजहां गार्डेंन में 144, शास्‍त्रीपुरम में 167 एक्‍यूआई पाया गया।

गोरखपुर के एमएमएमयूटी में 169 एक्‍यूआई पाया गया। कानपुर के किदवईनगर में 120, कल्‍याणपुर में 151 और नेहरूनगर में 172 एक्‍यूआई पाया गया। नोएडा के सेक्‍टर 125 में 198, सेक्‍टर 62 में 290, सेक्‍टर एक में 167 और सेक्‍टर 116 में 247 एक्‍यूआई पाया गया। प्रयागराज के झूंसी में 128 एक्‍यूआई पाया गया। एनआईटी क्षेत्र में 99 और नगर निगम क्षेत्र में 123 एक्‍यूआई पाया गया। वाराणसी के मछली बाजार में 92, भेलूपुर में 101 और मल्‍दहिया में 109 एक्‍यूआई पाया गया।

सर्दी आते ही निमोनिया के केस बढ़ने लगे हैं। बढ़ता प्रदूषण इस बीमारी को और बढ़ा रहा है। दीवाली के बाद से मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल की ओपीडी में हर दिन 600 से ज्यादा बच्चे और बुजुर्ग पहुंच रहे हैं। इसमें सौ से ज्यादा मरीज निमोनिया के पाए जा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ठंड और प्रदूषण बढ़ने के साथ ही यह खतरा और बढ़ेगा। फेफड़ों में पानी भर जाने को निमोनिया कहते हैं। यह एक गंभीर संक्रमण है, जो जरा सी लापरवाही पर घातक हो जाता है। डॉक्टरों की मानें तो निमोनिया के मामलों में करीब 50 फीसदी प्रदूषण से जुड़े होते हैं। मेरठ में हर दिन बढ़ रहे प्रदूषण से हालात काफी खराब हो रहे हैं। इससे बच्चों में नमिोनिया का खतरा भी बढ़ रहा है।

सर्दियों के मौसम में प्रदूषण की स्थिति गंभीर होने से निमोनिया के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। यूनीसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादा प्रदूषण वाले जिलों में निमोनिया पीड़ित बच्चों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा में निमोनिया पीड़ित बच्चे अधिक पाए जा रहे हैं।

छाती और सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरोत्‍तम तोमर ने बताया कि बच्चों में होने वाली मौत का बड़ा कारण निमोनिया है। इससे बचाव के लिए टीका उपलब्ध है। बच्चों और बड़ों सभी को यह टीका अवश्य करवाना चाहिए। यह टीका निमोनिया से बचाव में असरदार है। मेरठ मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नवरत्‍न ने बताया कि ठंड बढ़ने के साथ ही बच्चों में निमोनिया की मामले बढ़ने लगे हैं। ओपीडी में हर दिन काफी निमोनिया पीड़ित बच्चे आ रहे हैं। कमजोर इम्युनिटी वालों को निमोनिया का खतरा अधिक रहता है।

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