शरद पवार के काफिले को रोका; आत्मदाह की कोशिश

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक शरद पवार को रविवार को तब लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा, जब वह अपने काफिले के साथ राज्य के सोलापुर जिले के कुर्दुवाड़ी से गुजर रहे थे। इस दौरान उन्हें अलग-अलग जगहों पर मराठा आरक्षण के आंदोलनकारियों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। आंदोलनकारियों ने सोलापुर जिले में उनके काफिले को रोक दिया और उनकी गाड़ी के सामने जमकर नारेबाजी की। बार्शी कस्बे में उनकी रैली के दौरान काले झंडे भी दिखाए गए और एक मराठा आंदोलनकारी कार्यकर्ता ने आत्मदाह की कोशिश भी का।

जब उनका काफिला रोका गया तो आंदोलनकारियों ने उनसे मराठा आरक्षण पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। जब वरिष्ठ नेता ने मराठों के मुद्दे पर अपना समर्थन जताया तो कार्यकर्ताओं ने उनके काफिले को आगे बढ़ने दिया। हालांकि, इसके कुछ ही देर बाद जब शरद पवार बार्शी में रैली को संबोधित कर रहे थे, तब फिर से मराठा आंदोलनकारी उनके खिलाफ नारेबाजी करने लगे।

टेलीविजन चैनलों पर प्रसारित वीडियो में देखा जा सकता है कि ‘मराठा आरक्षण’ के नारे लगाते हुए लोगों के एक समूह ने कुर्दुवाड़ी गांव के पास पवार की कार रोककर उनसे आरक्षण के मुद्दे पर रुख स्पष्ट करने को कहा। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पवार को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उन्होंने आरक्षण का समर्थन किया है, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वह इस मुद्दे पर अपनी बात नहीं कह रहे हैं।

एक प्रदर्शनकारी ने पवार से पूछा, “आप लंबे समय से मराठा समुदाय के लिए आरक्षण का समर्थन करने की बात कर रहे हैं। आप इस मुद्दे पर अपना रुख सार्वजनिक रूप से क्यों नहीं बताते?” इसके कुछ घंटे बाद कुछ युवक बार्शी कस्बे में पवार के रैली स्थल पर पहुंचे और आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे के समर्थन में नारे लगाए। पवार जब भाषण दे रहे थे, तब युवकों ने काले झंडे भी दिखाए। 

घटना की पुष्टि करते हुए सोलापुर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि पवार की रैली में चार युवकों ने जरांगे के समर्थन में नारे लगाए। सुरक्षा कर्मियों और पुलिसकर्मियों ने उन्हें काबू किया और हिरासत में लेकर थाने ले गए। रैली को संबोधित करते हुए पवार ने किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आश्वासन पर कटाक्ष किया और दावा किया कि भाजपा शासन में किसानों की आत्महत्या की घटनाएं दोगुनी हो गई हैं।

बता दें कि मनोज जरांगे सभी कुनबी (कृषक) और उनके “ऋषि सोयरे” (रक्त संबंधियों) को मराठा के रूप में मान्यता देने के लिए ओबीसी प्रमाण पत्र की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं। फरवरी में, महाराष्ट्र विधानसभा ने शिक्षा व सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला एक विधेयक पारित किया था, लेकिन जरांगे मराठाओं को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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