भारतीय राजनीति के प्रमुख चेहरों में शुमार यशवंत सिन्हा का नाम उन नेताओं में लिया जाता है जिन्होंने प्रशासनिक सेवा से राजनीति की राह चुनकर देश की आर्थिक नीतियों को नई दिशा दी। 6 नवंबर 1937 को बिहार के पटना में जन्मे यशवंत सिन्हा आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। आइए जानते हैं उनके जीवन और करियर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य, जिन्होंने उन्हें भारतीय राजनीति में एक अलग पहचान दिलाई।
प्रशासनिक सेवा से राजनीति तक का सफर
यशवंत सिन्हा ने पटना विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में प्रवेश किया। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं- जैसे वित्त मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय में अहम पदों पर कार्य। 1984 में उन्होंने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर राजनीति में कदम रखा, जो उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ साबित हुआ।
राजनीति में प्रवेश और उत्थान
यशवंत सिन्हा ने सबसे पहले जनता पार्टी से राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1986 में वे पार्टी के महासचिव बने। बाद में जब जनता दल का गठन हुआ, तो वे उसमें शामिल हो गए। 1989 में वी. पी. सिंह की सरकार में उन्हें वित्त राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया। यहीं से उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार और संरचनात्मक परिवर्तन की दिशा में अपने विचार प्रस्तुत किए।
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में अहम भूमिका
1990 के दशक में यशवंत सिन्हा भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में वे दो बार भारत के वित्त मंत्री और बाद में विदेश मंत्री बने। वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने कई ऐतिहासिक कदम उठाए। जैसे विदेशी निवेश को प्रोत्साहन देना, टेलीकॉम और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में सुधार, तथा भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजारों से जोड़ने के प्रयास। उनके कार्यकाल में ही डिसइन्वेस्टमेंट नीति और राजकोषीय अनुशासन जैसे शब्द भारतीय राजनीति में प्रमुखता से उभरे।
राजनीतिक रुख और विचारधारा
यशवंत सिन्हा हमेशा अपने स्पष्ट विचारों और बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कई बार अपनी ही पार्टी की नीतियों की आलोचना करते हुए सच्चाई को खुलकर सामने रखा। अटल वाजपेयी सरकार में कई अहम पदों पर रह चुके यशवंत सिन्हा ने 2018 में BJP से नाता तोड़ लिया और सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली। इसके बावजूद वे लोकतंत्र, पारदर्शिता और सुशासन के समर्थक रहे हैं।
परिवार और व्यक्तिगत जीवन
यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हाभी राजनीति में सक्रिय हैं और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। पिता-पुत्र की राजनीतिक विचारधाराओं में भले मतभेद हों, लेकिन दोनों सार्वजनिक जीवन में मर्यादा और निष्ठा के लिए जाने जाते हैं। अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में यशवंत सिन्हा ने राजनीति, अर्थशास्त्र और शासन-प्रशासन में उल्लेखनीय योगदान दिया। 2015 में उन्हें फ्रांस सरकार ने ऑर्डर ऑफ द लीजियन ऑफ ऑनर से सम्मानित किया।