BSF ने घुसपैठ की कोशिश की नाकाम, भारत-बांग्लादेश सीमा पर 4 बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा

BSF ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर 4 बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा है. पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात उत्तर बंगाल फ्रंटियर के सिलीगुड़ी सेक्टर के अंतर्गत 15 बटालियन बीएसएफ के बीओपी महादेव के जवानों ने ये कार्रवाई की है. 28 अगस्त को लगभग रात नौ बजकर 40 मिनट पर गुप्त सूचना मिली थी. पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिकों के नाम निमाई चंद्र बर्मन (42 वर्ष), सनातन रॉय (28 वर्ष), पोरिटोस रॉय (21 वर्ष), और मालिन चंद्र रॉय (33 वर्ष) हैं. 

इन्हें ढोलापारा गांव के सामान्य क्षेत्र से उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वे हल्दीबाड़ी की ओर जाने वाले टोटो में यात्रा कर रहे थे. तलाशी लेने पर उनके कब्जे से 4 मोबाइल फोन, एक मोबाइल चार्जर और बांग्लादेशी करंसी 40,305 टका बरामद की गई. गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिकों को उनके जब्त सामान के साथ सद्भावना के तौर पर कंपनी कमांडर स्तर की फ्लैग मीटिंग के माध्यम से बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश को सौंप दिया गया. 

गौरतलब है कि बांग्लादेश में जब से तख्ता पलट हुआ है तबसे बंगलादेशी नागरिक सीमा पार कर भारत में आना चाहते हैं. इसे देखते हुए BSF ने चौकसी बढ़ा दी है. बांग्लादेश से लगते भारतीय सीमा पर जवानों की चाक-चौबंद व्यवस्था से घुसपैठ के कई प्रयास विफल किए गए हैं. तख्ता पलट के बाद बांग्लादेश के हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. मौजूदा सरकार ने पुरानी सरकार के कई फैसले पलट दिए हैं.


बांग्लादेश सरकार ने बुधवार को जमात-ए-इस्लामी पार्टी पर से प्रतिबंध हटा दिया. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने शासन के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों के दौरान उस पर प्रतिबंध लगा दिया था. हसीना सरकार ने पार्टी को ‘उग्रवादी और आतंकवादी’ संगठन बताते हुए प्रतिबंधित कर दिया था और उसकी छात्र इकाई और अन्य संबद्ध संगठनों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था को लेकर आंदोलन भड़काने का दोषी ठहराया था

संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, हिंसक विरोध प्रदर्शनों और हसीना सरकार की कार्रवाई में 600 से अधिक लोग मारे गए. गृह मंत्रालय ने बुधवार को पार्टी पर से प्रतिबंध हटा दिया, जिससे उसे अपनी गतिविधियां फिर शुरू करने का रास्ता मिल गया. चुनाव लड़ने के लिए उसे निर्वाचन आयोग में रजिस्टर्ड कराना होगा.

पार्टी के नेतृत्व की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. जमात-ए-इस्लामी पर 2013 से चुनावों में भाग लेने पर रोक है, जब आयोग ने उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था और हाई कोर्ट ने इस निर्णय को बरकरार रखा था. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि पार्टी ने धर्मनिरपेक्षता का विरोध करके संविधान का उल्लंघन किया है.

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