आदिवासी जमीन लीज पर के फैसले पर मचा बवाल, समाज बोला- मुख्यमंत्री करें पुनर्विचार

आदिवासी जमीन बड़े पैमाने पर लीज पर देने के राज्य सरकार के संकेतक निर्णय का तीव्र विरोध शुरू हो गया है। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद भंडारा के जिलाध्यक्ष विनोद वट्टी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को निवेदन देकर इस निर्णय पर तत्काल पुनर्विचार की मांग की है।

विनोद वट्टी ने कहा कि आदिवासी भूमि केवल संपत्ति नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की संस्कृति, धार्मिक परंपराओं और आजीविका का आधार है। यदि इन्हें बड़े पैमाने पर भाड़े (लीज) पर दिया गया तो आदिवासी समाज का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।

आदिवासी विकास परिषद ने दी चेतावनी

आदिवासी विकास परिषद भंडारा के जिलाध्यक्ष ने चेतावनी दी कि ऐसे निर्णय से स्थानीय पर्यावरण, जैवविविधता, जंगल और जलस्तर पर गंभीर दुष्परिणाम होंगे। परिषद ने स्पष्ट किया कि किसी भी विकास परियोजना के लिए आदिवासी समाज की स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति आवश्यक है। साथ ही व्यापक पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन (EIA) और उसमें स्थानीय समुदाय की भागीदारी अनिवार्य की जानी चाहिए।

निवेदन में चार प्रमुख मांगें की गई हैं पहला, आदिवासी जमीन भाड़े पर देने का निर्णय तुरंत स्थगित किया जाए। दूसरा, सभी परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक और स्वतंत्र पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन अनिवार्य हो। तीसरा, आदिवासी हकों की रक्षा हेतु विशेष शिकायत निवारण तंत्र और संवाद समिति बनाई जाए।

चौथा, इन मांगों पर अमल न होने की स्थिति में परिषद कानूनी कार्रवाई, शांतिपूर्ण जनआंदोलन और जनजागृति अभियान छेड़ेगी। वट्टी ने कहा कि परिषद विकास के विरोध में नहीं है, लेकिन विकास आदिवासी अधिकारों और पर्यावरण के साथ समझौता करके स्वीकार्य नहीं होगा।

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