बिहार चुनाव के बीच कर्नाटक में क्या हो रहा, सीएम सिद्धारमैया के बयान ने और बढ़ाया सस्पेंस

नई दिल्ली, बेंगलुरु. कर्नाटक में ‘नवंबर क्रांति’ को लेकर चर्चाएं तेज हैं। चुनाव बिहार में हो रहे हैं, लेकिन इस दक्षिणी राज्य में लगातार कयास लग रहे हैं कि नेतृत्व परिवर्तन इस साल के अंत तक हो सकता है। इस मायने में नवंबर का महीना अहम होगा और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के समर्थक खासे उत्साहित हैं। फिलहाल चर्चा है कि बिहार चुनाव के बाद कर्नाटक में कैबिनेट फेरबदल होगा। इसके अलावा नेतृत्व परिवर्तन के भी कयास हैं। इस बारे में सिद्धारमैया से भी पूछा गया तो उनका कहना है कि बिहार चुनाव के बाद कैबिनेट में फेरबदल होगा। खुद के भविष्य को लेकर सिद्धारमैया ने कहा कि आखिरी फैसला तो हाईकमान को ही लेना है।

सिद्धारमैया ने कहा कि हाईकमान की ओर से मुझसे कुछ कहा नहीं गया है। लीडरशिप में बदलाव को लेकर अब तक कोई बात सामने नहीं आई है। सिद्धारमैया भले ही ऐसा कह रहे हैं, लेकिन कैबिनेट फेरबदल की पुष्टि तो कर ही दी है। इसी के चलते फिर से कयास तेज हैं कि कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। यदि ऐसा नहीं भी हुआ तो डीके शिवकुमार और उनके समर्थकों को राजी करने के लिए सरकार में उनका दखल बढ़ाया जा सकता है। सिद्धारमैया के बयान से साफ हो गया है कि कर्नाटक कांग्रेस में लॉबिंग जोरों पर है।

खुद सिद्धारमैया 15 नवंबर को दिल्ली आने वाले हैं। उनसे पहले राज्य सरकार में मंत्री सतीश जरकिहोली भी दिल्ली जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि उनकी नजर प्रदेश अध्यक्ष बनने पर है। फिलहाल यह पद डीके शिवकुमार के पास है। माना जाता है कि शिवकुमार को डिप्टी सीएम के साथ प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी इसीलिए मिली थी ताकि सरकार से संगठन तक दखल के नाम पर वह मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर फिलहाल विराम लगा दें। अब यदि सतीश जरकिहोली को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है तो फिर संभावना है कि डीके शिवकुमार को सीएम का ही पद मिल जाए। पिछले दिनों सिद्धारमैया के बेटे ने ही कह दिया था कि मेरे पिता जी के राजनीतिक करियर का यह आखिरी पड़ाव है।

उस बयान से भी यह मेसेज गया है कि शायद हाईकमान का संकेत सिद्धारमैया खेमे को मिल गाय है। ऐसे में डीके शिवकुमार के मुकाबले कुछ और नेताओं को खड़ा करने की तैयारी है। फिलहाल सतीश जरकिहोली का नाम सिद्धारमैया खेमे से बढ़ाया जा रहा है, जो दलित समाज से ही आते हैं। बिहार चुनाव के बाद खुद डीके शिवकुमार भी हाईकमान से मिलेंगे। ऐसे में देखना होगा कि कर्नाटक में नवंबर महीने के अंत तक क्या होता है। दरअसल शिवकुमार समर्थकों का दावा है कि सरकार बनने पर ढाई साल के मुख्यमंत्री कार्यकाल पर बात हुई थी। इसके तहत अब सिद्धारमैया को हटाकर डीके को कमान देनी चाहिए।

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