सिद्दारमैया के खिलाफ राज्यपाल के मुकदमा चलाने के फैसले पर कांग्रेस-भाजपा में टकराव

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के खिलाफ मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) घोटाला मामले में राज्यपाल थावरचंद गहलोत के मुकदमा चलाने के विवादास्पद फैसले से राज्य में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है और सत्तारूढ़ कांग्रेस तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच तीखी बहस छिड़ गयी है।
कांग्रेस की ओर से प्रमुख नेता प्रियांक खड़गे ने केंद्र सरकार पर राज्य की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने की बड़ी साजिश में राजभवन का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। श्री खड़गे ने कहा, “हमारी सरकार को कमजोर करने के लिए भाजपा राजभवन का दुरुपयोग कर रही है। राज्य के संवैधानिक प्रमुख अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए संकट पैदा कर रहे हैं , लेकिन हम संविधान के साथ मजबूती से खड़े हैं।”
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी राज्यपाल के फैसले की आलोचना की और कहा कि यह राजनीति से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा , “भाजपा के सत्ता में आने से संवैधानिक पदों का राजनीतिकरण बढ़ गया है। राज्यपाल की ओर से की गयी हर कार्रवाई अब जांच और संदेह के दायरे में आती है। मेरा मानना है कि यहां कुछ भी ठोस नहीं है। तुच्छ मामलों का राजनीतिकरण करना अनुचित है।”
कांग्रेस विधायक अजय धरम सिंह ने भी श्री सिद्दारमैया के प्रति अटूट समर्थन जताया और कहा “हमें पता था कि ऐसा होने वाला है। केंद्र सरकार हमारे मुख्यमंत्री की लोकप्रियता को पचा नहीं पा रही है , लेकिन इससे कुछ नहीं होगा। हम अदालत जा रहे हैं और अपने मुख्यमंत्री के साथ मजबूती से खड़े हैं।
भाजपा ने राज्यपाल के फैसले का स्वागत किया है। भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने मुख्यमंत्री के खिलाफ आरोपों की गंभीरता को रेखांकित करते हुए इसे ‘महत्वपूर्ण घटनाक्रम’ बताया। उन्होंने कहा, “आरोप गंभीर हैं। जब उनके नियंत्रण में एजेंसियां उनकी जांच कर रही हैं, तो ऐसी स्थिति में श्री सिद्दारमैया के लिए मुख्यमंत्री पद पर बने रहना अशोभनीय है। हमें उम्मीद है कि वह नैतिक जिम्मेदारी लेंगे और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए इस्तीफा देंगे।”
केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने श्री सिद्दारमैया पर भ्रष्टाचार के कई मामलों में मिलीभगत का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा , “राज्यपाल ने कानूनी तौर पर अभियोजन की अनुमति दी है। श्री सिद्दारमैया दो मामलों में दोषी हैं।वाल्मीकि विकास निगम में उन्होंने खुद विधानसभा में स्वीकार किया कि यह भ्रष्टाचार 187 करोड़ रुपये नहीं बल्कि 89 करोड़ रुपये का है। यह पैसा कांग्रेस पार्टी के चुनाव खर्च के लिए तेलंगाना गया। दूसरा मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण घोटाला है जिसमें उनकी पत्नी ने अवैध रूप से 14 सेटों पर कब्जा कर लिया। उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए और मामले का सामना करना चाहिए।”

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