दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि देश का सौहार्द इतना कमजोर नहीं है कि महज चिल्लाने या प्रदर्शन करने से शांति नष्ट हो जाए। इसके साथ ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने मानवाधिकार कार्यकर्ता नदीम खान को दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज मामले में गिरफ्तारी से शुक्रवार तक अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दी। यह मामला नवंबर के मध्य में हैदराबाद में एक प्रदर्शनी के दौरान कथित तौर पर दिए उनके भाषण को लेकर दर्ज किया गया है।
हालांकि जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एसीपीआर) के राष्ट्रीय सचिव नदीम खान को जांच में सहयोग करने और जांच अधिकारी को सूचित किए बिना शहर नहीं छोड़ने का निर्देश दिया है। दिल्ली पुलिस ने नदीम खान पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। उन पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, आपराधिक साजिश और सार्वजनिक उपद्रव शामिल होने का आरोप है।
नदीम खान का एक वीडियो ‘मोदी सरकार में हिंदुस्तान का रिकॉर्ड’ सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। नदीम खान के खिलाफ दर्ज एफआईआर के अनुसार, शिकायतकर्ता दिल्ली पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर को सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए एक वीडियो के बारे में कथित तौर पर गुप्त सूचना मिली थी कि वह संभावित रूप से हिंसा का कारण बन सकता था।
हाईकोर्ट की बेंच ने दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील संजय लाओ से कहा- कृपया समझें, हम एक लोकतांत्रिक देश में हैं। देश की सद्भावना इतनी कमजोर नहीं है कि किसी के चिल्लाने से शांति भंग हो जाए। आप आम आदमी पर बहुत कम भरोसा करते हैं। आम आदमी बुद्धिमान है। आम आदमी इतना कमजोर नहीं है कि सिर्फ एक प्रदर्शन से…
बेंच ने यह भी कहा कि एफआईआर में शिकायतकर्ता की राय का आधार बनने वाली सामग्री मेरे सामने नहीं रखी गई है। इसे प्रतिवादी की ओर से दाखिल किए गए जवाब के साथ आज तक एकत्र की गई सामग्री के साथ रखा जाए। अगली तारीख तक याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाए। इसके साथ ही अदालत ने दिल्ली पुलिस से खान की याचिका पर जवाब देने को कहा। इसमें एफआईआर रद्द करने की मांग की गई है। साथ ही अब तक जुटाई गई सामग्री भी मांगी गई है। कोर्ट इस मामले में फिर से 6 दिसंबर को सुनवाई करेगा।
बता दें कि नदीम खान का एक वीडियो ‘मोदी सरकार में हिंदुस्तान का रिकॉर्ड’ सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। नदीम खान के खिलाफ दर्ज एफआईआर के अनुसार, शिकायतकर्ता दिल्ली पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर को सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए एक वीडियो के बारे में कथित तौर पर गुप्त सूचना मिली थी कि वह संभावित रूप से हिंसा का कारण बन सकता था।
पुलिस ने कहा कि यह स्टॉल एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एसीपीआर) द्वारा लगाया गया था। वीडियो में बोलने वाला नदीम खान था। एसीपीआर ने अदालत को बताया कि दिल्ली पुलिस की एक टीम ने 30 नवंबर को बिना वारंट के नदीम खान को हिरासत में लेने का प्रयास किया था। हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने इससे इनकार किया और कहा कि टीम केवल जांच में शामिल होने के लिए उनको नोटिस देने गई थी।
अपनी याचिका में खान और एपीसीआर ने दावा किया कि प्राथमिकी में तीन साल से अधिक कारावास की सजा वाले किसी भी अपराध का उल्लेख नहीं है। याचिका में दिल्ली पुलिस की जांच पर रोक लगाने की मांग की गई है। साथ ही बलपूर्वक कार्रवाई से सुरक्षा मांगी गई है। एफआईआर सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड करने से संबंधित कथित गुप्त सूचना पर दर्ज की गई है। मामले में आशंका जताई गई है कि वीडियो से अशांति फैल सकती थी।