पखांजुर। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मायापुर के कृषि विज्ञान के छात्रों के लिए एक विशेष शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन किया गया, जो उनकी शिक्षा को व्यावहारिक दृष्टिकोण से समृद्ध करने के उद्देश्य से किया गया था। इस भ्रमण में 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों ने भाग लिया। विद्यालय के प्राचार्य एन.सी. गाईन के मार्गदर्शन में शिक्षकों की एक अनुभवी टीम ने इस भ्रमण को सफलतापूर्वक संपन्न कराया। यह भ्रमण न केवल छात्रों के लिए एक नए अनुभव का स्रोत बना, बल्कि उन्हें कृषि और ऑटोमोबाइल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रशिक्षण और ज्ञान प्राप्त करने का अनूठा अवसर मिला।
इस कार्यक्रम की शुरुआत कृषि विज्ञान के सिद्धांतों और उनकी वास्तविक उपयोगिता को समझाने से हुई। यह भ्रमण केवल एक शैक्षणिक यात्रा तक सीमित नहीं था, बल्कि इसके माध्यम से छात्रों को कृषि और ऑटोमोबाइल उद्योग के व्यावहारिक पहलुओं को सीखने का मौका दिया गया। छात्रों को संजीवनी कुंज पखांजुर पीवी 32 (मिक्सफॉर्म) का दौरा कराया गया, जहाँ उन्हें कृषि के विभिन्न नवीन तकनीकों और उनकी व्यावहारिक उपयोगिता के बारे में विस्तार से बताया गया। इस भ्रमण के दौरान मिक्सफॉर्म के प्रमुख प्रशिक्षक तुलाराम नाग ने छात्रों को वडिंग, ग्राफ्टिंग और बीज उत्पादन के बारे में न केवल सैद्धांतिक जानकारी दी, बल्कि इन प्रक्रियाओं को व्यावहारिक रूप में प्रदर्शित भी किया, ताकि छात्र इन्हें अच्छी तरह से समझ सकें।
वडिंग और ग्राफ्टिंग की विस्तृत जानकारी:
वडिंग और ग्राफ्टिंग का महत्व कृषि में अत्यधिक है, विशेष रूप से पौधों की नई और उन्नत किस्में विकसित करने के लिए। तुलाराम नाग ने छात्रों के सामने वडिंग और ग्राफ्टिंग की प्रक्रिया का विस्तार से प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि कैसे विभिन्न पौधों की शाखाओं को मिलाकर एक नई पौध प्रजाति बनाई जा सकती है। यह तकनीक किसानों को अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त करने में मदद करती है। तुलाराम ने वडिंग और ग्राफ्टिंग के सही तरीके और उससे प्राप्त होने वाले लाभों के बारे में भी छात्रों को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि कैसे इन तकनीकों का उपयोग करके किसान अपने फसलों की पैदावार और गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। छात्रों ने इन तकनीकों को व्यावहारिक रूप में देखकर अत्यधिक रुचि दिखाई और कई सवाल भी पूछे, जिनका प्रशिक्षक ने बड़े ही सरल और सटीक तरीके से उत्तर दिया।
वडिंग और ग्राफ्टिंग के अलावा, तुलाराम नाग ने छात्रों को बीज उत्पादन और उसके महत्व पर भी गहन जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार सही बीजों का चयन और उनका उचित प्रबंधन कृषि उत्पादन को सीधा प्रभावित करता है। बीज उत्पादन की प्रक्रिया को छात्रों के समक्ष विस्तृत रूप से रखा गया, जिसमें बीजों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न परीक्षण और प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं। तुलाराम ने यह भी बताया कि कैसे सही समय पर बीजों की बुवाई और देखभाल करने से उत्पादन में बढ़ोतरी की जा सकती है। बीज उत्पादन के विभिन्न चरणों, जैसे बीज का चयन, परीक्षण, बुवाई, और रखरखाव के बारे में भी छात्रों को सिखाया गया। छात्रों को यह भी सिखाया गया कि किस प्रकार बीजों को वातावरण और मिट्टी के अनुसार चयनित किया जाना चाहिए, ताकि कृषि उत्पादन में अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।
व्यावहारिक सत्र और ऑटोमोबाइल प्रशिक्षण:
इस शैक्षणिक भ्रमण का एक अन्य प्रमुख हिस्सा ऑटोमोबाइल प्रशिक्षण था। छात्रों को कृषि क्षेत्र में उपयोग होने वाले विभिन्न यंत्रों और वाहनों के बारे में जानकारी प्रदान की गई। कृषि यंत्रों और उनकी तकनीकी कार्यप्रणाली को समझने के लिए छात्रों को विशेष रूप से प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें बताया गया कि किस प्रकार आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग और रखरखाव किया जाता है, जैसे ट्रैक्टर, थ्रेशर, और अन्य महत्वपूर्ण मशीनरी। छात्रों को यह भी सिखाया गया कि कैसे कृषि यंत्रों की मरम्मत और रखरखाव किया जाता है, ताकि उनकी दीर्घकालिक उपयोगिता बनी रहे।
ऑटोमोबाइल प्रशिक्षण के दौरान छात्रों ने कृषि में उपयोग होने वाले मशीनों की विभिन्न तकनीकी विशेषताओं को समझा और उनका व्यावहारिक उपयोग भी सीखा। उन्होंने सीखा कि ट्रैक्टर जैसे यंत्रों को कैसे संचालित और रखरखाव किया जा सकता है। ऑटोमोबाइल विशेषज्ञों ने छात्रों को मशीनों के विभिन्न हिस्सों और उनकी कार्यप्रणाली के बारे में समझाया। छात्रों को ट्रैक्टर के इंजन, उसकी गियर प्रणाली, ब्रेक सिस्टम और अन्य यांत्रिक पहलुओं के बारे में जानकारी दी गई। इसके साथ ही, उन्हें बताया गया कि किस प्रकार नियमित निरीक्षण और उचित रखरखाव से इन यंत्रों की दीर्घकालिक उपयोगिता सुनिश्चित की जा सकती है।
शिक्षकों और छात्रों के अनुभव:
इस शैक्षणिक भ्रमण का अनुभव छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए बहुत ही समृद्धिपूर्ण रहा। कृषि विज्ञान के शिक्षक महेन मंडल ने कहा, “इस तरह के शैक्षणिक भ्रमण छात्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इससे उन्हें केवल पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन में इन सिद्धांतों का उपयोग कैसे किया जाता है, यह भी सिखने को मिलता है।” उन्होंने यह भी कहा कि कृषि और ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण देकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जा सकता है। इस भ्रमण ने छात्रों की सोच और दृष्टिकोण को व्यापक रूप से प्रभावित किया है, जिससे वे न केवल कृषि की पारंपरिक विधियों को समझने में सक्षम हुए, बल्कि नई और उन्नत तकनीकों को भी अपनाने के लिए प्रेरित हुए।
छात्रों की प्रतिक्रिया भी अत्यधिक उत्साहपूर्ण रही। 12वीं कक्षा के छात्र राजकुमार बिस्वास ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “इस भ्रमण ने हमें कृषि और ऑटोमोबाइल के बारे में बहुत कुछ सिखाया। हमने यह समझा कि किस प्रकार वडिंग और ग्राफ्टिंग जैसी तकनीकें कृषि में उपयोगी हो सकती हैं और कैसे बीज उत्पादन को बेहतर बनाकर किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के व्यावहारिक अनुभवों से उन्हें अपने करियर को लेकर और भी स्पष्टता प्राप्त हुई है।
इसी तरह, 10वीं कक्षा की छात्रा अंकिता राय ने भी अपने अनुभव को महत्वपूर्ण बताया। उसने कहा, “इस शैक्षणिक भ्रमण ने मुझे कृषि के क्षेत्र में एक नई दृष्टि प्रदान की है। मैंने सीखा कि कैसे आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके कृषि को और भी लाभदायक बनाया जा सकता है।” उसने यह भी कहा कि इस भ्रमण से प्राप्त ज्ञान उसे भविष्य में कृषि के क्षेत्र में नई संभावनाओं की खोज करने के लिए प्रेरित करेगा।
भविष्य की संभावनाएँ और निष्कर्ष:
इस शैक्षणिक भ्रमण का सबसे बड़ा उद्देश्य छात्रों को केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित न रखकर उन्हें व्यावहारिक रूप से तैयार करना था। आज के बदलते कृषि परिदृश्य में यह आवश्यक है कि छात्रों को उन्नत तकनीकों और मशीनों के उपयोग के बारे में जानकारी हो, ताकि वे भविष्य में कृषि क्षेत्र में नवाचार कर सकें। ऑटोमोबाइल और कृषि यंत्रों के प्रशिक्षण ने छात्रों को यह समझने में मदद की कि किस प्रकार आधुनिक यंत्रों का उपयोग करके कृषि को और भी अधिक उत्पादक और लाभकारी बनाया जा सकता है।
कुल मिलाकर, इस शैक्षणिक भ्रमण ने छात्रों को न केवल कृषि और ऑटोमोबाइल के बारे में गहन जानकारी दी, बल्कि उन्हें व्यावहारिक जीवन के लिए तैयार किया।