रात में चावल खाने से बढ़ता है वजन या सेहत? जानिए आयुर्वेद में इसका असली सच

हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए खानपान का बेहतर होना जरूरी है। इसके लिए रोटी, सब्जी और दाल-चावल खाना हर किसी को पसंद होता है। कई बार चावल का सेवन करना हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। क्या आप इसके बारे में जानते है कि, रात के समय चावल का सेवन क्यों नहीं करना चाहिए। इसके बारे में आयुर्वेद में बताया गया है। चलिए जानते है कि, चावल का सेवन कैसे और किस समय पर करना चाहिए।

आयुर्वेद में चावल के बारे में बताया

यहां पर आयुर्वेद में चावल के बारे में जानकारी दी गई है। चावल का स्वभाव शीतल और स्निग्ध (मुलायम) होता है। पुराना चावल हल्का माना जाता है, जबकि नया चावल भारी होता है और उसका पाचन कठिन होता है। रात के समय जब शरीर की अग्नि कमजोर हो जाती है, तब चावल का पचना मुश्किल हो जाता है, जिससे गैस, अपच और भारीपन महसूस होता है। यहां पर चावल के पोषक तत्वों का बात करें तो, चावल में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। यह ऊर्जा तो देता है, लेकिन रात में मेटाबॉलिज्म धीमा होने के कारण शरीर उसे पूरी तरह पचा नहीं पाता और गैस, पेट फूलना और एसीडिटी जैसी समस्याएं होती हैं। अगर रात में चावल खाने के बाद तुरंत सो जाते है तो, इसका असर यह होता है कि, तुरंत सो जाएं, तो वह ऊर्जा उपयोग नहीं होती और चर्बी के रूप में जमा होने लगती है। इसलिए बहुत से लोगों में यह वजन बढ़ाने का कारण भी बन जाता है।

इन रूपों में कर सकते है चावल का सेवन

आप यहां पर चावल को पूरी तरह से रात के भोजन में शामिल न करना यह सही नहीं होता है। अगर आप हल्का और सादा भोजन लेते हैं, तो यह कोई समस्या नहीं करता। उदाहरण के लिए मूंग दाल खिचड़ी, जीरा राइस या भाप में पकी सब्जियों के साथ चावल, सभी पचने में आसान हैं और शरीर पर बोझ नहीं डालते।आपको रात में चावल खाना है तो खाने से पहले गुनगुना पानी या सूप पी लें, इससे पाचन की अग्नि सक्रिय होती है।

ब्राउन राइस या पुराने चावल का इस्तेमाल करें, इनमें फाइबर ज्यादा और स्टार्च कम होता है। थोड़ा घी डालकर खाएं, यह पाचन को आसान बनाता है और गैस रोकता है। खाने के बाद 5-10 मिनट टहलें, इससे भारीपन और गैस नहीं होती। सोने से कम से कम 2 घंटे पहले भोजन करें, ताकि शरीर को पचाने का समय मिले।

क्यों नहीं होते है दक्षिण भारतीय मोटे

यहां पर हर कोई जानता है कि, दक्षिण भारत के लोग रोज रात में चावल खाते हैं, फिर भी मोटे नहीं होते। कारण है वे उसे दही, सांभर या उबली सब्जियों के साथ खाते हैं और भोजन के बाद हल्की गतिविधि करते हैं। इतना ही नहीं, ठंडे चावल में बनने वाला रेजिस्टेंट स्टार्च आंतों के लिए फायदेमंद माना जाता है।

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