खरीदी केंद्र की प्रतीक्षा में किसान, वर्धा में 15 हजार किसानों ने किया CCI में पंजीयन, फसल बर्बाद

इस वर्ष प्राकृतिक आपदाओं के कारण जिले के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। सोयाबीन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी नाफेड करता है, लेकिन इस वर्ष अब तक नाफेड को पंजीकरण शुरू करने के लिए ‘मुहूर्त’ नहीं मिल पाया है। परिणामवश किसानों को समर्थन मूल्य से कम दरों पर निजी व्यापारियों को सोयाबीन बेचना पड़ रहा है।

वहीं सरकारी कपास खरेदी केंद्र भी शुरू नहीं हुए है। इसी बीच, जिले के लगभग 15 हजार किसानों ने कपास की बिक्री के लिए CCI (भारतीय कपास निगम) में पंजीकरण कर लिया है। लेकिन सरकारी खरीद केंद्र अब तक शुरू नहीं होने से कपास उत्पादक किसानों की मुश्किलें बरकरार हैं।

जिले के किसान खरीफ सीजन में मुख्यतः कपास, सोयाबीन और तूर की खेती करते हैं। इस बार लगातार हुई अतिवृष्टि से कपास और सोयाबीन दोनों फसलों को भारी नुकसान हुआ है। अनेक किसानों ने लागत खर्च भी निकलना मुश्किल होने के कारण खेतों में खड़ी सोयाबीन फसल को आग के हवाले कर दिया।

वहीं कपास की फसल पर कुछ इलाकों में लाल्या तो कुछ क्षेत्रों में गुलाबी बोंड इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है। इसी पृष्ठभूमि में गुरुवार को ‘मोंथा’ चक्रवात के कारण जिले में फिर से बेमौसम बारिश हुई। नागपुर मौसम विभाग ने आने वाले कुछ दिनों में और बारिश की संभावना जताई है।

सोयाबीन की फसल गिली होने तथा अन्य कारणों के चलते किसानों को एमएसपी के दाम मिलना कठिन हो गया। कम दामों पर किसान अपनी फसल बेचने पर मजबूर हो गये हैं। वहीं कपास की फसल भी खेत से घर तक पहुंच रही है। मात्र खरीद केंद्र शुरू नहीं होने के कारण किसानों के सामने गंभीर प्रश्न निर्माण हुआ है।

जिले में 13 केंद्रों के माध्यम से किसानों से कपास खरीदने की योजना CCI की है। इसके लिए पंजीकरण शुरू कर दिया गया है। अब तक लगभग 15 हजार किसानों ने CCI में पंजीकरण किया है। पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर तय की गई है। पिछले वर्ष CCI ने लगभग 9 लाख क्विंटल कपास किसानों से खरीदा था। इस वर्ष भी संस्था की योजना 13 केंद्रों से कपास खरीदने की है। इन केंद्र में देवली, वायगांव (नि।), सेलू, आर्वी, आष्टी, कारंजा (घा।), पुलगांव, समुद्रपूर, हिंगनघाट, वडनेर, शिरपुर, आंजी और रोहणा (खरांगणा) शामिल हैं।फिलहाल इन केंद्रो पर किसानों से पंजीकरण जारी है।

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