मंत्री अशोक चौधरी का कद जेडीयू में बढ़ गया है. सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें नई जिम्मेदारी दी है. वह अब पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए हैं. बता दें कि पिछले दिनों अशोक चौधरी विवादित ट्वीट को लेकर चर्चा में आए थे, लेकिन विवाद के बावजूद अब सीएम नीतीश ने ही उन्हें संगठन की नई जिम्मेदारी दी है.
बता दें कि हाल ही में अशोक चौधरी पार्टी नेतृत्व से नाराज दिखे थे. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए इशारों में तंज कसना शुरू कर दिया था. इससे लगने लगा था कि, बिहार की सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड में सबकुछ ठीक नहीं है. अशोक चौधरी के एक ट्वीट ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया था. अशोक चौधरी ने पहले ‘बढ़ती उम्र’ का जिक्र कर इशारों में तंज कसा था, जिस पर सीएम हाउस में उन्हें तलब किया गया था.
हालांकि जब अशोक चौधरी बाहर निकले थे, तब उनके तेवर देखने में नरम लग रहे थे. इसके बाद चौधरी ने सीएम नीतीश कुमार को मानस पिता बताकर विवाद का पटाक्षेप करने की कोशिश की थी.
दरअसल, अशोक चौधरी के विवादित बयान चर्चा में रहे हैं. 31 अगस्त को उन्होंने भूमिहारों को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की थी. चौधरी का कहना था कि मैं भूमिहार जाति को अच्छे से जानता हूं. जब लोकसभा चुनाव हुआ तो इस जाति के लोग नीतीश कुमार का साथ छोड़कर भाग गए. उनकी इस टिप्पणी पर JDU ने किनार कर लिया था. साथ ही उन्हें नसीहत भी दी थी.
अशोक चौधरी ने अपनी कविता को ”बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए” टाइटल दिया था, जिसमें उन्होंने लिखा,
एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना, “छोड़ दीजिए।”
बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना, ”छोड़ दीजिए।”
गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं मिलते तो उन्हें, ”छोड़ दीजिए।”
एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना, ”छोड़ दीजिए।”
अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना, ”छोड़ दीजिए।”
यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना, ”छोड़ दीजिए।”
हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना, ”छोड़ दीजिए।”
बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना, ”छोड़ दीजिए।”
उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना, ”छोड़ दीजिए।”