विदेश मंत्री एस. जयशंकर अक्टूबर के मध्य में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में शामिल होने के लिए पाकिस्तान की यात्रा करेंगे। लगभग नौ वर्षों के बाद यह पहली बार होगा कि भारत के विदेश मंत्री पाकिस्तान की यात्रा करेंगे, जबकि कश्मीर मुद्दे और आतंकवाद को लेकर दोनों पड़ोसियों के बीच रिश्तों पर बर्फ जमी हुई है। इस दौरान कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है। अब इसको लेकर खुद जयशंकर ने जवाब दिया है।
इस्लामाबाद जाने से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को स्पष्ट किया कि वह अपने आगामी पाकिस्तान दौरे के दौरान भारत-पाकिस्तान संबंधों पर कोई वार्ता नहीं करेंगे। राष्ट्रीय राजधानी में एक कार्यक्रम के दौरान जयशंकर ने कहा, “यह दौरा एक बहुपक्षीय कार्यक्रम के लिए है। मैं वहां भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने नहीं जा रहा हूं। मैं वहां एससीओ के एक अच्छे सदस्य के रूप में जाऊंगा।” उन्होंने कहा, “लेकिन, आप जानते हैं, मैं एक विनम्र और सभ्य व्यक्ति हूं, इसलिए मैं वैसा ही व्यवहार करूंगा।”
जयशंकर ने पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए इसे दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) की पहल को बाधित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “वर्तमान में SAARC आगे नहीं बढ़ रहा है, हमने SAARC की बैठक नहीं की है, इसका एक बहुत ही सरल कारण है – SAARC का एक सदस्य SAARC के एक अन्य सदस्य के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद का समर्थन कर रहा है। यह ऐसा कुछ है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।” भारत का हमेशा से यह रुख रहा है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करना बंद नहीं करता, तब तक उसके साथ द्विपक्षीय वार्ता नहीं की जाएगी।
यह लगभग नौ वर्षों में पहली बार होगा जब भारत के विदेश मंत्री पाकिस्तान की यात्रा करेंगे, हालांकि दोनों पड़ोसी देशों के बीच सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर तनाव बरकरार है। पाकिस्तान 15 और 16 अक्टूबर को एससीओ की सरकार प्रमुखों की परिषद (CHG) की बैठक की मेजबानी करेगा। विदित हो कि इससे पहले भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दिसंबर 2015 में अफगानिस्तान पर एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद का दौरा किया था।