सावन में भंडारा कराने का क्या होता है महत्व, जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

सावन के पवित्र माह का शुरुआत हो गई है इसके साथ ही 14 जुलाई को सावन का पहला सोमवार भी शिवभक्तों ने उत्साह के साथ मनाया। सावन सोमवार में भगवान शिव की आराधना भक्त करते है तो वहीं पर सावन के महीने को भगवान शिव की आराधना का महीना माना जाता है। सावन के महीने में कई व्रत- त्योहार आते है तो वहीं पर इस महीने में पूजा नियम पूर्वक करने की मान्यता है।

सावन के महीने में भंडारा कराने का महत्व होता है। कहते हैं कि, सावन में पूजा-अनुष्ठान को पूरा करने के साथ अगर आप भंडारा कराते है तो इसका फायदा आपको मिलता है।
पुण्य का काम होता है भंडारा कराना

यहां पर धार्मिक दृष्टि से भंडारा कराना पुण्य धर्म का काम कहलाता है वहीं पर इससे दूसरों का अन्न है और हमें आत्मिक संतुष्टि मिलती है। सावन में भंडारा कराने से भगवान शिव और पितरों का आशीर्वाद आपको मिलता है। अगर आप अपने सामर्थ्यनुसार भंडारा कराते हैं या अन्न का दान करते हैं तो आप धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक लाभ के भागीदार बनते है। वहीं पर पवित्र माह में भंडारा कराने से दान और सेवा का भाव जागृत होता है, जिससे आत्मिक शांति की प्राप्ति आपको होती है।
जानिए क्या है इसकी पौराणिक कथा

यहां पर सावन में भंडारा कराने की पौराणिक कथा बताई गई है इसके अनुसार, विदर्भ के राजा स्वेत जब परलोक गए तो उन्हें बहुत भूख लगी, लेकिन खाने को कुछ नहीं मिला. उन्होंने ब्रह्मदेव से पूछा कि, उन्हें भोजन क्यों नहीं दिया जा रहा. तब ब्रह्मदेव ने कहा कि आपने अपने जीवन में कभी अन्न का दान किया ही नहीं.इसके बाद राजा स्वेत ने अपने वंश को सपने में आकर अन्न का दान करने को कहा. मान्यता है कि इसके बाद से ही भंडारे की शुरुआत हुई. इसलिए हर व्यक्ति को अपने जीवन में सामार्थ्य अनुसार अन्न का दान या भंडारा जरूर कराना चाहिए।

एकता के भाव का संदेश

यहां अगर आप भंडारा करते है तो, आपका मन कार्यों में लगा रहेगा और आपके अंदर भक्ति भाव प्रबल होते हैं। अगर आप सावन में भंडारा या भोजन कराते है तो, पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। वहीं पर भंडारा में सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोग एक साथ एक जैसा भोजन ग्रहण करते हैं, जोकि समाज में समानता, समरसता और एकता के भाव का संदेश भी देता है। एक तरह से यह काम पुण्य का माना गया है।

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