कबीरधाम जिले में कानून व्यवस्था बदहाल: डॉ महंत

छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने राज्य सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में अपराधियों को सरकारी संरक्षण मिल रहा है, जिसके चलते अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। हाल ही में 27 वर्षीय प्रशांत साहू की पुलिस हिरासत में हुई संदिग्ध मौत से स्थानीय लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। डॉ. महंत ने इसे पुलिस की प्रताड़ना का परिणाम बताया है और इस मामले में जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज कर उन्हें तत्काल निलंबित करने की मांग की है।


कबीरधाम जिले के लोहारीडीह गांव में साहू समाज के मंडल अध्यक्ष शिवप्रसाद साहू की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने ग्रामीणों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। उनकी लाश जंगल में पेड़ से लटकती हुई पाई गई, जिसे डॉ. महंत ने प्रथम दृष्टया हत्या करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस घटना में पुलिस ने शुरू से ही लापरवाही दिखाई और मृतक की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया।


डॉ. महंत ने आरोप लगाया कि कबीरधाम की पुलिस गृह मंत्री विजय शर्मा के निर्देश के बिना कोई कार्रवाई नहीं करती। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री के राजनीतिक प्रभाव के कारण पुलिस निष्क्रिय हो गई है और मामलों में निष्पक्ष जांच नहीं हो रही है। डॉ. महंत ने कहा कि यदि पुलिस ने समय रहते उचित कार्रवाई की होती, तो हालात इतने बेकाबू नहीं होते।


कबीरधाम में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब तक 175 नामजद और 90 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें 40 महिलाएं भी शामिल हैं। डॉ. महंत का कहना है कि इस कार्रवाई में निर्दोष ग्रामीणों को भी फंसाया जा रहा है और उन पर गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और गृहमंत्री के इसी रवैये के कारण प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।


डॉ. महंत ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मांग की है कि वे तुरंत गृहमंत्री विजय शर्मा से इस्तीफा लें, और यदि वे इस्तीफा नहीं देते, तो मुख्यमंत्री को उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जिस प्रकार से अपराधियों को संरक्षण मिल रहा है, उससे आम जनता में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है।

कबीरधाम जिले की घटनाएं छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था की बदहाली की एक बानगी हैं। नेता प्रतिपक्ष का आरोप है कि अपराधियों को मिल रहे सरकारी संरक्षण ने प्रदेश में एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता और राजनीतिक हस्तक्षेप से स्थिति और गंभीर हो गई है, जिसे सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है

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