ममता दीदी, क्‍या कोलकाता में एक ही पुलिस ऑफिसर है जो गली-गली जानता है?

कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को लेकर ममता बनर्जी ने अपनी तरफ से जो नई बात बताई है, वो तो उनका पुराना स्टैंड ही है. अपने पुलिस कमिश्नर के खिलाफ कुछ भी सुनना तो दूर की बात है, वो तो खुल कर बचाव करने लगती है – पांच साल पहले भी तो वो कोलकाता के पुलिस कमिश्नर के साथ रात भर धरने पर बैठी रहीं. 

कोलकाता रेप-मर्डर केस को महीना भर हो चुके हैं. आरजी कर अस्पताल में हुई दरिंदगी के बाद से लगातार पुलिस कमिश्नर को हटाने की मांग हो रही है. ये मांग आंदोलनकारी डॉक्टरों की भी है, और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस भी पुलिस कमिश्नर को बर्खास्त करने के लिए कह चुके हैं, लेकिन ममता बनर्जी समझा रही हैं कि मौजूदा पुलिस कमिश्नर को हटा पाना फिलहाल उनके लिए मुमकिन ही नहीं है.

ममता बनर्जी का दावा है कि पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल उनसे मिलकर इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं, और ये हफ्ता भर पहले की बात है. ममता बनर्जी का कहना है कि वो खुद चाहती हैं कि विनीत गोयल अभी पुलिस कमिश्नर बने रहें, वरना कोलकाता में कानून व्यवस्था के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बातों को समझने की कोशिश करें तो लगता है, दुर्गा पूजा नजदीक होने के कारण पुलिस कमिश्नर को बदल देने के बाद कानून-व्यवस्था को संभालना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि कोई और अफसर ऐसा है ही नहीं जो कोलकाता के गली-मोहल्लों से अच्छी तरह वाकिफ है.

ऐसा क्यों लगता है, अगर विनीत गोयल को पुलिस कमिश्नर के पद से हटा दिया जाये, तो कोलकाता की कानून-व्यवस्था संभालने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को सेना की मदद लेनी पड़ेगी – मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बातों से तो ऐसा ही लगता है. 

बड़ा सवाल फिलहाल यही है कि आखिर कोलकाता के पुलिस कमिश्‍नर को ममता बनर्जी क्‍यों नहीं हटा पा रही हैं? क्योंकि नवदुर्गा की आड़ लेना तो एक कमजोर वजह ही लगती है.

ममता बनर्जी तो लगता है पुलिसवालों की तरह ही किस्सा सुनाने लगी हैं, जैसे वे हर एनकाउंटर के बाद कहानी बनाकर पेश कर देते हैं. ममता बनर्जी कहती हैं, ‘पुलिस कमिश्नर मेरे पास आये थे, इस्तीफा देने… दुर्गापूजा से पहले मैं भला कैसे स्वीकार कर लेती… वो कोलकाता के सभी गली-मोहल्लों के बारे में अच्छे से जानते हैं, और ये भी जानते हैं कि स्थिति को कैसे संभालना है… त्योहार के बाद हम इसके बारे में सोच सकते हैं.’

विनीत गोयल की जिस काबिलियत का ममता बनर्जी हवाला दे रही हैं, वैसे गली-मोहल्लों की जानकारी तो बीट अफसरों को होनी चाहिये, भला उसके लिए पुलिस कमिश्नर की क्या जरूरत है – और अगर पुलिस कमिश्नर का भी वही लेवल है, फिर तो उसकी काबिलियत ही कठघरे में खड़ी है.

जो पुलिस अफसर एक रेप और हत्या के मामले में एक्शन नहीं ले सकता, वो भला कानून-व्यवस्था की इमरजेंसी में हालात पर कैसे काबू पा सकेगा – ऐसे अफसर तो सिर्फ कैमरे के सामने आकर बयान ही दे सकते हैं, स्थिति तनावपूर्ण है, किंतु नियंत्रण में है. 

कोलकाता रेप-मर्डर केस को लेकर भी तो विनीत गोयल ऐसे ही समझाते रहे हैं कि पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. जो आरोपी पुलिस कमिश्नर के नाम से रजिस्टर्ड बाइक चला रहा हो, उसे गिरफ्तार कर लेना कौन सा बहादुरी और तत्परता की मिसाल है?

अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी पूछा है, घटना के बाद कार्रवाई करने में देर क्यों की गई? 

पुलिस कमिश्नर की बातों को ही आगे बढ़ाते हुए ममता बनर्जी भी कह रही हैं कि वो सीबीआई जांच कराने को तैयार थी. ममता बनर्जी ने ये कहा था, और केस सुलझाने के लिए कोलकाता पुलिस के लिए डेडलाइन भी तय की थी – अब कह रही हैं, मेरे हाथ में कुछ नहीं है क्योंकि जांच तो सीबीआई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है.

CISF को सहयोग न मिलने की बात पर ममता बनर्जी कह रही हैं, ये सब केंद्र सरकार और कुछ वामपंथी दलों की रची हुई साजिश है… वे साजिश में शामिल हैं… हम आपको किसी चीज के लिए नहीं रोक रहे हैं. 

देखा जाये तो विनीत गोयल का बचाव भी ममता बनर्जी वैसे ही कर रही हैं, जैसे कभी राजीव कुमार का किया था. 2019 में कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार हुआ करते थे. तब भ्रष्टाचार के एक मामले में राजीव कुमार से पूछताछ के लिए सीबीआई के अफसरों ने छापा मारा था, और तभी पश्चिम बंगाल के पुलिसवालों ने अधिकारियों को हिरासत में ले लिया, लेकिन बाद में छोड़ भी दिया. 

फिर क्या था, ममता बनर्जी का गुस्सा फूट पड़ा. वो राजीव कुमार के घर पहुंचीं. विस्तार से जानकारी लेने के बाद धरना देने लगीं. ममता बनर्जी के साथ राजीव कुमार भी धरने पर बैठे रहे – और ये सब रात भर चला. तब ममता बनर्जी ने राजीव कुमार को दुनिया का सबसे इमानदार पुलिस अफसर बताया था. कहा था, ‘उनकी सत्यनिष्ठा, बहादुरी और ईमानदारी पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है… वो 24 घंटे काम करते हैं.’

ममता बनर्जी को ये तो मालूम होगा ही कि ये पब्लिक है, लेकिन उनको ऐसा क्यों लगता है कि पब्लिक कुछ भी नहीं जानती? जो भी वो बता देंगी, पब्लिक मान लेगी. शायद, इसलिए क्योंकि अभी तक ऐसा ही होता आया है. पार्क-रोड से लेकर संदेशखाली के मामलों तक. नारद स्कैम से लेकर, सारदा स्टिंग केस तक – लेकिन हर बार लोग ममता बनर्जी की बातों में आकर भरोसा कर लें, जरूरी तो नहीं है. 

ममता बनर्जी की माने तो पूरे पश्चिम बंगाल में सब कुछ दुरुस्त है, खासकर कोलकाता में – और जो पब्लिक देख रही, दरअसल, वो ममता बनर्जी के राजनीतिक विरोधियों की साजिश है, और कुछ भी नहीं.

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