वायनाड में 300 से ज्यादा मौतें, 200 अब भी लापता; तलाशी के लिए उतारे गए रडार ड्रोन

वायनाड में भूस्खलन की त्रासदी के बाद पांचवें दिन भी तलाशी अभियान जारी है। अब तक 300 से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 200 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं। हालांकि राहत-बचाव में लगी एजेंसियों ने हिम्मत नहीं हारी है। शुक्रवार को भी मलबे के नीचे से कई जिंदा लोगों को निकाला गया। ऐसे में तकनीक की मदद से तलाशी अभियान को और भी तेज किया गया है। जानकारी के मुताबिक अबतक 210 से ज्यादा शव मिले हैं। वहीं अस्पताल में भर्ती लोगों में से 187 को छुट्टी दे दी गई है। 

तलाशी के लिसए तकनीक का इस्तेमाल
वायनाड के गांव में भूस्खलने के बाद मलबे और नदी में तलाशी के लिए उन्नत उपकरणों और खोजी कुत्तों का इस्तेमाल किया जा रहा है।  वायनाड भूस्खलन हादसे के बाद व्यवसायी, मशहूर हस्तियां और संस्थाएं मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में लाखों-करोड़ों रुपये दान देने में जुटी हैं। 
सेना द्वारा 190 फुट लंबे ‘बेली ब्रिज’ का निर्माण पूरा होने के बाद खोज अभियान में तेजी आने के बीच बचाव दलों ने शुक्रवार को भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के मोबाइल फोन से प्राप्त अंतिम लोकेशन समेत जीपीएस निर्देशांकों और ड्रोन चित्रों का इस्तेमाल करके मलबे में फंसे लोगों की तलाश की।

उतारे गए रडार वाले ड्रोन
वायनाड में राहत और बचाव में रडार वाले ड्रोन को भी उतारा गया है। यह ड्रोन धऱती से 120 मीटर की ऊंचाई पर उड़ता है और एक बार में 40 हेक्टेयर में सर्च करता है। इसमें रडार सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। ये चारों ओर तरंगें भेजता है जिनकी मदद से मलबे के नीचे दबे लोगों का पता लगाया जाता है। वायनाड के भूस्खलन प्रभावित गांव में उन्नत रडार प्रणाली के साथ खोज अभियान चला रहे बचावकर्मियों को संभवतः किसी मानव या पशु द्वारा सांस लेने का संकेत मिलता है।

अभियान में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि बुरी तरह प्रभावित मुंडक्कई गांव में एक घर की तलाशी के दौरान रडार पर ‘नीला सिग्नल’ प्राप्त हुआ। अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘किसी के लगातार सांस लेने का संकेत मिल रहा है।’ हालांकि, शुक्रवार शाम को खोज अभियान समाप्त हो गया क्योंकि बचावकर्मियों ने निष्कर्ष निकाला कि मलबे के नीचे किसी व्यक्ति की मौजूदगी की संभावना नहीं है।

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