गरियाबंद में 14 दिसंबर 2024 को होगा नेशनल लोक अदालत

गरियाबंद . देशभर में नेशनल लोक अदालत का आयोजन 14 दिसंबर 2024 को किया जाएगा। जिला एंव अपर सत्र न्यायालय गरियाबंद में भी नेशनल लोक अदालत आयोजित होगा, जिसकी तैयारी की जा रही है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के मार्गदर्शन एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर के निर्देशानुसार 14 दिसंबर 2024 को होने वाले नेशनल लोक अदालत के संबध में सफल क्रियान्वयन बाबत विभिन्न स्थल पर तैयारियां की जा रही है। अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर बलराम प्रसाद वर्मा के निर्देशानुसार तालुका विधिक सेवा समिति गरियाबंद के अध्यक्ष यशवंत वासनीकर एवं अन्य न्यायालय गरियाबंद में पदस्थ न्यायाधीशों के द्वारा पिछले दिनों विभिन्न प्रशासनिक विभाग के संबंधित अधिकारी के साथ लोक अदालत के सफल क्रियान्वयन को लेकर बैठक आयोजित की गई।

14 दिसंबर 2024 को लोक अदालत में राजीनामा योग्य सभी सिविल मामले, राजीनामा योग्य अपराधिक मामले, चेक संबंधी धारा 138 परकाम्य लिखत अधिनियम के प्रकरण, घरेलू हिंसाओं, पारिवारिक विवादों, बैंक रिकवरी, नगर पालिका एवं विद्युत विभाग संबंधी मामले एवं मोटर दुर्घटना दावा संबंधी प्रकरण रखे गये हैं। आगामी नेशनल लोक अदालत में अधिक से अधिक संख्या में आपसी राजीनामा के आधार पर प्रकरण का निराकरण किए जाने हेतु हर संभव प्रयास किये जाने पर सहमति व्यक्त की गई। तालुका अध्यक्ष विधिक सेवा प्राधिकरण यशवंत वासनीकर द्वारा आगामी लोक अदालत के सफल आयोजन के संबंध में दिशा निर्देश दिया गया। नागरिकों व पक्षकारों को नेशनल लोक अदालत के माध्यम से अपने प्रकरणों को निराकरण किये जाने हेतु जागरूक किया जा रहा है। बैठक के दौरान अधिवक्ताओं को राजीनामा योग्य प्रकरणों के अधिक से अधिक प्रकरणों के निपटारे हेतु भी पक्षकारों को प्रोत्साहित करने के भी निर्देश दिये गये। उक्त लोक अदालत में जिला एंव अपर सत्र न्यायालय गरियाबंद में लगभग 2977 प्री-लिटिगेशन संबंधित प्रकरण रखे गये है, उक्त नेशनल लोक अदालत में अधिक से अधिक प्रकरणों के निराकरण होने की संभावना है। नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन हेतु पक्षकारों को प्री-सिटिंग के लिए नोटिस पूर्व में जारी किया गया है, जिससे लोक अदालत का सफल आयोजन किया जा सके।

पूरे भारत वर्ष में नेशनल लोक अदालत का आयोजन वर्ष में हर तीन माह बाद भारत के पूरे राज्य में किया जाता है, पक्षकारगण अपने-अपने जिलों व तहसीलों के न्यायालयों में उपस्थित होकर अधिक से अधिक लंबित प्रकरणों को राजीनामा के आधार पर निराकरण कर सकते है।

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