SME कंपनियों के लिए नए नियम: मेनबोर्ड में माइग्रेशन के बदले नियम, जानिए क्या होगा असर

NSE SME companies: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने 24 लिस्टेड स्मॉल एंड मिडियम (SME) कंपनियों के मेनबोर्ड में माइग्रेशन के लिए नियम बदल दिए हैं। संशोधित नियम में कहा गया है कि एसएमई कंपनियों को एक्सचेंज के SME प्लेटफॉर्म पर कम से कम 3 साल तक सूचीबद्ध होना चाहिए। इसके साथ ही मेनबोर्ड लिस्टिंग के लिए अर्हता प्राप्त करने को छोटी कंपनियों के पास 10 करोड़ रुपये की चुकता पूंजी होनी चाहिए।

प्रमोटर समूह के पास 20% हिस्सा होना अनिवार्य

एनएसई की ओर से जो शर्त तय किए गए हैं उनमें आवेदन करने के समय प्रमोटर और प्रमोटर समूह के पास कंपनी का कम से कम 20% हिस्सा होना चाहिए। इसके अलावा, माइग्रेशन के लिए आवेदन की तिथि तक, प्रमोटर की होल्डिंग लिस्टिंग की तिथि पर उनके द्वारा रखे गए शेयरों के 50% से कम नहीं होनी चाहिए। एनएसई ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में परिचालन से राजस्व 100 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिए और कम से कम 3 वित्तीय वर्षों में से 2 के लिए परिचालन से पॉजिटिव परिचालन लाभ होना चाहिए। एनएसई ने कहा कि आवेदन की तिथि पर पब्लिक शेयरहोल्डर्स की कुल संख्या कम से कम 500 होनी चाहिए। इसके अलावा जो नियम हैं उसके तहत आवेदक कंपनी और प्रमोटर कंपनी के खिलाफ दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत कोई कार्यवाही स्वीकार नहीं की गई है।

ये भी हैं शर्तें

कंपनी को एनसीएलटी/आईबीसी द्वारा स्वीकार की गई कोई समापन याचिका प्राप्त नहीं हुई है। कंपनी की कुल संपत्ति कम से कम 75 करोड़ रुपये होनी चाहिए। शर्त ये भी है कि पिछले 3 वर्षों में किसी भी एक्सचेंज द्वारा आवेदक कंपनी और प्रवर्तक के खिलाफ व्यापार के निलंबन जैसी कोई महत्वपूर्ण विनियामक कार्रवाई नहीं की गई हो। इसके अलावा सेबी द्वारा कंपनी/प्रवर्तक, सहायक कंपनी पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया हो। इसी तरह, आवेदक कंपनी के पास SCORES में निवेशकों की कोई लंबित शिकायत नहीं हो।

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