उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। सुबह और रात में घना कोहरा होने की वजह से विजिबिलिटी में भी कमी आ जाती है। इससे भारतीय रेलवे में ट्रेनों को चला रहे लोको पायलट्स को ट्रैक पर देखने में भी परेशानी होती है। लेकिन अब एक तकनीक की वजह से लोको पायलट्स का काम आसान हो गया है। घने कोहरे का अब रेलवे पर असर नहीं पड़ेगा। इस तकनीक का नाम है, कवच, जोकि ट्रेनों की आमने-सामने की टक्कर को टालती है। इससे एक ट्रैक पर आ रही या फिर जा रही ट्रेनों के बारे में आसानी से पता चल जाता है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसी कवच तकनीक का एक वीडियो एक्स पर शेयर किया है और बताया है कि किस तरह अब घने कोहरे में लोको पायलट्स को सिग्नल पता करने के लिए बाहर देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह खुशखबरी देते हुए रेल मंत्री ने वीडियो भी शेयर किया है।
रेल मंत्री वैष्णव ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “बाहर घना कोहरा है। कवच ट्रेन के अंदर ही सिग्नल दिखा देता है। पायलट को सिग्नल के लिए बाहर देखने की जरूरत नहीं पड़ती।” रेल मंत्रालय के अनुसार, कवच स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है जिसे स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। कवच लोको पायलट को ब्रेक लगाने में विफल होने की स्थिति में खुद ही ब्रेक लगाकर ट्रेन को तय स्पीड लिमिट के भीतर चलाने में सहायता करता है और खराब मौसम के दौरान ट्रेनों को सुरक्षित रूप से चलाने में भी मदद करता है।”
कवच तकनीक का यात्री ट्रेनों पर पहला फील्ड परीक्षण फरवरी 2016 में शुरू हुआ था। कवच संस्करण 3.2 की सप्लाई के लिए 2018-19 में तीन फर्मों को मंजूरी दी गई थी। यह मंजूरी प्राप्त अनुभव और स्वतंत्र सुरक्षा निर्धारक (आईएसए) द्वारा सिस्टम के स्वतंत्र सुरक्षा मूल्यांकन के आधार पर दी गई थी। कवच कार्यान्वयन के अगले चरण की योजना बनाई जा रही है। 10,000 इंजनों को सुसज्जित करने के प्रोजेक्ट को अंतिम रूप दिया जा चुका है। कवच से लैस करने के लिए 69 लोको शेड तैयार किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि वर्तमान में कवच प्रणाली की आपूर्ति के लिए 3 ओईएम को मंजूरी दी गई है।
अब तक 9000 से अधिक तकनीशियनों, ऑपरेटरों और इंजीनियरों को कवच तकनीक पर प्रशिक्षित किया जा चुका है। रेल मंत्रालय ने कहा, “कवच के स्टेशन उपकरण सहित ट्रैक साइड के प्रावधान की लागत लगभग 50 लाख रुपये/किमी है और इंजनों पर कवच उपकरण के प्रावधान की लागत लगभग 80 लाख रुपये/लोको है।” कवच कार्यों पर अब तक 1547 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। वर्ष 2024-25 के दौरान 1112.57 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। कार्यों की प्रगति के अनुसार आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराई जाती है।