बीते कुछ दिनों से भारतीय निवेशकों की ग्रीस में दिलचस्पी आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ गई है। लोग यहां घर खरीदने के लिए दौड़ पड़े हैं। ग्रीस में जुलाई और अगस्त के बीच भारतीय निवेशकों द्वारा संपत्ति खरीद में 37 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन इसके पीछे कारण क्या है? दरअसल ग्रीस में 1 सितंबर से महत्वपूर्ण नियामक बदलाव होने वाले हैं। इससे पहले भारतीय निवेशक यहां की गोल्डन वीजा स्कीम का भरपूर लाभ उठाना चाहते हैं। लोग गोल्डन वीज़ा स्कीम के तहत स्थायी घर हासिल करने के लिए टूट पड़े हैं।
गौरतलब है कि 2013 में लॉन्च किया गया ग्रीस का गोल्डन वीज़ा स्कीम संपत्ति में निवेश के बदले में रहने का परमिट देता है जो इसे गैर यूरोपियन नागरिकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाता है। इसकी शुरुआती लगभग €250,000 यानी 2.2 करोड़ रुपये की सीमा यूरोप में सबसे कम थी जिसकी वजह से लोग निवेश की ओर आकर्षित हुए हैं। इससे ग्रीस के रियल एस्टेट बाजार में भी तेजी आई है। भारतीय निवेशक संपत्ति खरीदने के लिए पारोस, क्रेते और सेंटोरिनी जैसे प्रसिद्ध ग्रीक द्वीपों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
हालांकि मांग में आई उछाल की वजह से यहां के घरों की कीमतों में काफी तेजी आने लगी। राजधानी एथेंस, थेसालोनिकी, मायकोनोस और सेंटोरिनी जैसे क्षेत्रों में कीमतें आसमान छूने लगी। इस समस्या से निपटने के लिए ग्रीस की सरकार ने इन क्षेत्रों में संपत्तियों के लिए निवेश सीमा को बढ़ाकर €800,000 (लगभग ₹7 करोड़) कर दिया है जो 1 सितंबर 2024 से प्रभावी है। इन नियमों का उद्देश्य कीमतों में आ रही तेजी को रोकना और कम विकसित क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देना है।
लेप्टोस एस्टेट्स के ग्लोबल मार्केटिंग निदेशक संजय सचदेव ने बताया कि हाल के महीनों में भारतीय खरीदारों की जबरदस्त भीड़ उमड़ी है। कई लोगों ने छह से बारह महीने की समयसीमा वाली निर्माणाधीन संपत्तियों में भी निवेश किया। भारतीय निवेशकों के लिए ग्रीस के गोल्डन वीज़ा कार्यक्रम में बहुत कुछ खास था। ग्रीस सालाना 3-5 प्रतिशत की आकर्षक किराये का मुनाफा देता है। इसके अलावा ग्रीस में संपत्ति के मूल्य साल-दर-साल 10 प्रतिशत की प्रभावशाली दर से बढ़ रहे हैं, जिसमें महामारी के बाद उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। निवेशकों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और यूरोपीय संघ के भीतर व्यवसाय स्थापित करने का भी मौका मिलता है।