राखी के रंगों का भी है विशेष महत्व, जानिए अपने भाई को किस रंग की बांधें राखी

भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार हिन्दू धर्म के सबसे पवित्रों त्योहारों में से एक है। जो इस बार 9 अगस्त को मनाया जा रहा है। भाई-बहन के प्यार एवं स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार अटूट रिश्ते एवं विश्वास का त्योहार होता है।

माता-पिता के बाद भाई-बहन का रिश्ता सबसे पवित्र रिश्तों में से एक है। बचपन से लेकर जीवन भर भाई, अपनी बहन की रक्षा करने का वादा करता है। बहन भी भाई के दीर्घायु और स्वस्थ रहने की कामना करती है।

लेकिन, क्या आप जानती हैं कि वास्तु-शास्त्र के अनुसार राखी बांधने का भी एक विशेष नियम होता है। अगर सही रंग और सामग्री की राखी चुनी जाए, तो यह आपके भाई के जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और तरक्की ला सकती है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसी हो राखी?

राखी का रंग और उसके प्रभावों की बात करें तो वास्तु शास्त्र के अनुसार, हर रंग एक खास ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। राखी में सही रंग का चुनाव आपके भाई के लिए भाग्य के द्वार खोल सकता है। जैसे लाल, पीला और हरा रंग सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माने जाते है। इन रंगों से बनी राखी पहनने से भाई को न सिर्फ सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, बल्कि जीवन में आने वाली रुकावटें भी दूर हो सकती है।

लाल राखी–

शक्ति, साहस और मंगल ऊर्जा बढ़ाने वाली होती है। लाल रंग की राखी भाई को साहस और आत्मविश्वास देती है।

पीली राखी–

बुध ग्रह और लक्ष्मी कृपा से जुड़ी, समृद्धि दायक होती है। पीली राखी शिक्षा और करियर में तरक्की दिलाने वाली मानी जाती है।

हरी राखी-

मानसिक शांति और पारिवारिक सौहार्द बढ़ाती है। हरी राखी भाई के स्वास्थ्य और मानसिक शांति को बढ़ावा देती है।

सफेद राखी–

क्रोधी स्वभाव और तनाव को कम करने में सहायक होती है।

काले या भूरे रंग–

काले या भूरे रंग की राखी ना बांधे। ये रंग नकारात्मक ऊर्जा, रुकावटें और मानसिक उलझनें ला सकते हैं।

राखी के धागे की अहमियत

वास्तु विशेषज्ञ मानते हैं कि कच्चे सूत यानी रेशमी धागे से बनी राखी भाई के जीवन में स्थायित्व और सुरक्षा लेकर आती हैं। प्लास्टिक या सिंथेटिक राखियों से परहेज करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इनमें प्राकृतिक ऊर्जा का अभाव होता हैं।

वास्तु शास्त्री मानते हैं कि बहन का संकल्प इसमें सबसे महत्वपूर्ण रक्षा कवच होता हैं। राखी बांधते समय बहन की भावना, उसकी प्रार्थना और संकल्प ही सबसे शक्तिशाली सुरक्षा कवच बनती हैं। इसलिए इस रक्षाबंधन पर राखी बांधते समय वास्तु की दृष्टि से सोचें कि आप केवल एक धागा नहीं, बल्कि, अपने भाई के भाग्य को शुभ ऊर्जा से बांध रही हैं।

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