जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदार पर कड़ी कार्रवाई की मांग,परिजनों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर सौंपा ज्ञापन

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के रामनगर में पिछले दिनों सीवरेज गड्ढे में गिरकर एक मासूम की मौत हो गई थी। परिजनों में शोक का माहौल है और प्रशासन के प्रति गहरी नाराजगी भी दिखाई दे रही है। घटना के बाद लगभग दो सप्ताह के बाद मासूम के परिजन सोमवार को रायपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे और प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई। परिजनों ने आरोप लगाया कि अब तक इस मामले में प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई है। हालांकि, नगर निगम ने इससे पहले तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए निलंबन और विभागीय जांच के आदेश जारी किए हैं।

7 वर्षीय मासूम के परिजन आज कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे, यहां उन्होंने लगभग दो सप्ताह बीत जाने के बाद भी प्रभावी कार्रवाई नहीं होने पर आक्रोश जताया। परिजनों ने जिम्मेदार ठेकेदार और अधिकारियों पर अब तक FIR नहीं होने का विरोध किया। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर न्याय दिलाने के लिए कलेक्टर के नाम सौंपा ज्ञापन गया। जिसमें बताया गया कि 14/04/2025 को नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही के चलते सेप्टिक टैंक के बाजू में खोदे गये कच्चा सोख्ता गड्ढे (Soak Pit) के पानी में मेरे 7 वर्ष के पुत्र की गिरकर मौत हो गई थी, जिसमें पुलिस ने मर्ग कायम किया है लेकिन पुलिस द्वारा इन अधिकारियों के खिलाफ आज दिनांक तक कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।

अधिकारियों को सस्पेंड, ठेकेदार को नोटिस : निगम आयुक्त विश्वदीप  

मामले के संबंध में निगम आयुक्त विश्वदीप (Raipur Nagar Nigam Corporation Commissioner) ने जानकारी देते हुए बताया कि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके अलावा ठेकेदार को नोटिस भेजा गया है। वहीं जांच रिपोर्ट के आधार पर ही आगे ही कार्रवाई की जाएगी। 

गौरतलब है कि रायपुर के रामनगर स्थित गुलमोहर पार्क कॉलोनी में पिछले दिनों सीवरेज गड्ढे में गिरकर बच्चे की मौत हुई थी। इस मामले में प्रधानमंत्री आवास मुख्यालय की उप अभियंता अंकिता अग्रवाल को सस्पेंड कर दिया गया था। वहीं अलावा आयुक्त ने प्रधानमंत्री आवास योजना शाखा के प्रभारी अधीक्षण अभियंता राजेश राठौर और सहायक अभियंता योगेश यदु के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए। उप अभियंता अंकिता अग्रवाल की लापरवाही यह थी कि उन्हें गड्ढे की जानकारी ही नहीं थी और सुरक्षा संबंधी बैरिकेडिंग नहीं की गई थी। साथ ही सुरक्षा को लेकर पत्राचार नहीं किया गया था। जो उच्चाधिकारी के आदेशों का उल्लंघन माना गया।

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