शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा को लंदन जाने के लिए 60 करोड़ रुपये जमा करने होंगे

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और उनके पति राज कुंद्रा को तगड़ा झटका दिया है। 60 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के मामले में फंसे इस दंपति के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर (LOC) को हटवाने के लिए कोर्ट ने सख्त शर्त रख दी है। कोर्ट ने कहा है कि 60 करोड़ रुपये नकद जमा करो या किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से इतनी ही राशि की बैंक गारंटी दो। राज कुंद्रा के बीमार पिता की गंभीर बीमारी का हवाला देकर लंदन जाने की अनुमति मांगने वाली याचिका पर कोर्ट ने साफ कह दिया कि बिना इस शर्त के विदेश यात्रा मुमकिन नहीं है।

वहीं दंपति की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा ने पूरी 60 करोड़ रुपये की राशि जमा करने का विरोध किया और जमानत या कोई अन्य उचित विकल्प देने की मांग की। उन्होंने जोर दिया कि यह यात्रा केवल मेडिकल कारणों से जरूरी है। हालांकि जस्टिस की बेंच ने यह अनुरोध खारिज कर दिया और साफ कहा कि LOC हटवाना है तो पूरी राशि का भुगतान या बैंक गारंटी अनिवार्य है।

क्यों जाना चाहते हैं लंदन?

न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में कहा गया कि कुंद्रा के पिता लंबे समय से दुर्लभ आयरन की कमी (अज्ञात आयरन-अमोनिया डेफिशिएंसी) से पीड़ित हैं, जिसके कारण उन्हें गंभीर जटिलताएं, आंतरिक रक्तस्राव और सांस लेने में भयंकर तकलीफ हो रही है। डॉक्टरों ने दोबारा कैप्सूल एंडोस्कोपी या डबल-बैलून एंटरोस्कोपी कराने की सलाह दी है। दंपति ने मेडिकल इमरजेंसी का हवाला देते हुए 20 जनवरी 2026 से पहले विदेश यात्रा की अनुमति मांगी थी और कहा था कि पिता की हालत तेजी से बिगड़ रही है।

पूरा मामला ही रद्द करने की मांग

पिछले महीने दंपति ने 60 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी की FIR को रद्द करने की याचिका दायर की थी और कोर्ट से यह भी आग्रह किया था कि पुलिस को अंतिम सुनवाई तक चार्जशीट दाखिल करने या कोई दंडात्मक कार्रवाई से पहले कोई कार्रवाई करने से रोका जाए।

शिकायतकर्ता दीपक कोठारी का आरोप है कि 2015 से 2023 के बीच शिल्पा-राज ने उन्हें अपनी कंपनी ‘बेस्ट डील टीवी प्राइवेट लिमिटेड’ में 60 करोड़ रुपये निवेश करने के लिए उकसाया, लेकिन उस पैसे का इस्तेमाल उन्होंने निजी लाभ और लग्जरी खर्चों में किया।

दूसरी ओर दंपति ने अपनी याचिका में दावा किया है कि FIR झूठे और तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए तथ्यों पर आधारित है तथा इसे पैसा वसूलने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से दर्ज कराया गया है। उनका कहना है कि निवेशक को हुआ नुकसान केवल व्यावसायिक नुकसान है, इसमें कोई धोखाधड़ी या आपराधिक साजिश नहीं है।

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