घूंट-घूंट पानी को तरसता ‘वो’ गांव

नासिक: आजादी के वो 75 साल फिर याद आ गए। कारण रहा भीषण पानी संकट का। आजादी के 75 सालों में हम आज भी उन गांवों में पानी की सुविधा न पहुंचा सके जहां शहरों की तरह इंसान ही बसते हैं, जानवर नहीं! महानगरों में 24 बाय 7 पानी की उपलब्धता का सपना दिखाने वाली सरकारें इन गांवों में गगरी भर पानी की सुविधा न दिला पाई। विश्वगुरु बनने जा रही भारत की यह तस्वीरें आपके मन को झंकझोर कर देंगी।

पानी प्रकृति की देन है। सरकार और प्रशासन द्वारा प्रक्रिया कर स्वच्छ व शुध्द पानी हर उस घर तक पहुंचाने का कर्तव्य है जो इस देश का नागरिक है। बुनियादी सुविधाओं का उपलब्ध न होना मनुष्य के अधिकारों का हनन ही कहलाएगा। सरकार सभी दावों और आश्वासनों की पोल खोलती खबर महाराष्ट्र के नासिक से सामने आई है।

गंभीर जल संकट का सामना कर रहे लोग

गर्मी बढ़ती जा रही है और नासिक के कई इलाके गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। नासिक जिले के पेठ तालुका के बोरीचिवाड़ी में पानी की कमी की हकीकत दिखाने वाला एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि महिलाओं को पानी लाने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। महिलाएं गहरे कुओं से पानी निकालने के लिए अपनी जान जोखिम में डालती नजर आती हैं।

पानी की कमी से जूझ रही महिलाओं ने बताया कि उन्हें दिन में अपना अधिकतर समय पानी लाने में ही व्यतीत करना पड़ता है। इससे घरेलू कामकाज और बच्चों की देखभाल प्रभावित हो रही है। महिलाओं ने बताया कि इससे न सिर्फ शारीरिक थकान होती है, बल्कि इसके साथ ही मानसिक तनाव भी बढ़ता है।

पानी की आपूर्ति के लिए योजना

पानी की कमी के बारे में नासिक जिला परिषद के अधिकारियों ने कहा कि गर्मियों के दौरान पानी के टैंकरों की जरूरत वाले गांवों में पानी की आपूर्ति के लिए एक योजना तैयार की गई है। 2023 में कम वर्षा के कारण 400 टैंकरों की आवश्यकता होगी। लेकिन 2024 में 110 प्रतिशत वर्षा होगी। इसलिए, इस वर्ष कम टैंकरों की आवश्यकता पड़ सकती है।

बोरीचिवाड़ी गांव पानी की कमी

इस बीच, पेठ तालुका का बोरीचिवाड़ी गांव पानी की कमी का सामना कर रहा है। जिला परिषद के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह भी बताया है कि नासिक जिला प्रशासन ने इस संकट को हल करने के लिए 8.80 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।इगतपुरी के अवलखेड में वाडा बस्तियों में भी जल संकट पैदा हो गया है। मनसे हर दूसरे दिन टैंकर से इस पाड़े को पानी उपलब्ध करा रही है। मुंबई में सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा शुरू की गई जलापूर्ति योजना ने महिलाओं के मार्च को रोक दिया है। इन समस्याओं पर फिर सरकार या उनके अधिकारी बेबाक बयानबाजी करते हुए कह सकते हैं कि धूपकाले में यह समस्या आम है। लेकिन क्या हम इस पर कुछ उपाय योजना नहीं कर सकते? पानी संकट से उभरने से पहले ही तैयारियां नहीं कर सकते? हमारे सरकार, प्रशासन, वैज्ञानिक, इंजीनियर, समाजसेवी इन समस्याओं पर हल नहीं निकाल सकते। जरूरत है नेक सोच और इच्छाशक्ति की। आशा करते हैं जो कहीं तो उत्पन्न हो जाए।

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