नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि उपराज्यपाल अपनी मर्जी से दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल दिल्ली नगर निगम में पार्षद मनोनीत करने के लिए दिल्ली सरकार की सलाह या सहायता मानने के लिए बाध्य नहीं है। इस मामले में कोर्ट ने 17 मई 2023 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। उपराज्यपाल की ओर से 10 पार्षद मनोनीत किए जाने के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। दिल्ली सरकार का कहना था कि उससे सलाह मशविरा के बिना एलजी ने मनमाने तरीके से इनकी नियुक्ति की है।
इसलिए ये नियुक्ति रद्द होनी चाहिए।सुनवाई के दौरान उप-राज्यपाल ने कोर्ट से कहा था कि दिल्ली के प्रशासनिक काम में उन्हें दिल्ली सरकार की सलाह-सहायता से काम करना होता है, लेकिन नगर निगम में पार्षदों का मनोनयन इस दायरे में नहीं आता है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि उप-राज्यपाल बिना मंत्रिमंडल की सलाह के कोई फैसला कैसे कर सकते हैं। तब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली सरकार अधिनियम में 2019 में बदलाव के आधार पर एल्डरमैन की नियुक्ति की गई है। दिल्ली सरकार के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि पार्षद मनोनीत करना दिल्ली सरकार का अधिकार है, बावजूद इसके लोकतंत्र का अपमान किया जा रहा है।