कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस में इंसाफ की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों से वेस्ट बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत और गृह सचिव नंदिनी चक्रवर्ती ने शनिवार को मुलाकात की है. यहां आमरण अनशन कर रहे छह डॉक्टरों की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. आठ डॉक्टर वर्तमान में अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं.
एक डॉक्टर ने कहा कि यदि सोमवार तक उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे 22 अक्टूबर को पूरे राज्य में हड़ताल करने के लिए मजबूर हो जाएंगे. एक जूनियर डॉक्टर ने कहा, “हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चर्चा के लिए बैठें और हमारी सभी मांगों को पूरा करें.” आंदोलनकारी डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर एक बड़ी रैली आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसमें स्वास्थ्य सचिव को हटाने की मांग भी शामिल है.
इसके साथ ही राज्य के सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के लिए एक केंद्रीकृत रेफरल प्रणाली की स्थापना, एक बिस्तर रिक्ति निगरानी प्रणाली का कार्यान्वयन और कार्यस्थलों पर सीसीटीवी, ऑन-कॉल रूम और वॉशरूम जैसी आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए टास्क फोर्स का गठन शामिल है. आमरण अनशन से पहले जूनियर डॉक्टरों ने 9 अगस्त को हुए जघन्य कांड के बाद अपना काम बंद कर दिया था.
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए डॉक्टर रेप-मर्डर केस में इंसाफ की मांग कर रहे आंदोलनकारी डॉक्टरों का प्रदर्शन लगातार जारी है. पिछले हफ्ते शहर के एस्प्लेनेड इलाके में डॉक्टरों ने रानी रश्मोनी रोड से अपना ‘द्रोहर कार्निवल’ (विरोध का कार्निवल) शुरू किया. यह कदम कलकत्ता हाई कोर्ट के द्वारा रेड रोड पर दुर्गा पूजा कार्निवल के पास के इलाकों में निषेधाज्ञा को हटाने के बाद उठाया गया.
इस रैली में सभी क्षेत्रों के लोगों ने हिस्सा लिया, जो इस केस में पीड़िता के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी डॉक्टर देबाशीष हलदर ने कहा था, “यह आम लोगों की प्रतिक्रिया है, जो पश्चिम बंगाल सरकार के असंवेदनशील रवैये के खिलाफ विरोध करना चाहते हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस बात की कोई चिंता नहीं है कि युवा डॉक्टर आमरण अनशन पर हैं. 5 अक्टूबर से जूनियर डॉक्टरों का आमरण अनशन जारी है.”
बताते चलें कि इस केस की जांच कर रही सीबीआई ने चार्जशीट फाइल कर दी है. इस चार्जशीट की एक्सक्लूसिव डिटेल आजतक को पता चली है, जिसमें कहा गया है कि सिविक वालंटियर संजय रॉय ने ही इस वारदात को अंजाम दिया है. पीड़िता की डेड बॉडी से लिए गए सीमन के सैंपल को जांच के लिए सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लैबरोटरी भेजा गया था. इसमें पता चला है कि सीमन संजय रॉय का ही है, जो कि इस वक्त सीबीआई की गिरफ्त में है.
सीबीआई ने दावा किया कि सीएफएसएल रिपोर्ट से पुष्टि हो गई है कि सीमन संजय रॉय का है. चार्जशीट के अनुसार, कई भौतिक, परिस्थितिजन्य साक्ष्य, फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर साबित होता है कि इस वारदात को संजय रॉय ने ही अंजाम दिया है. इस घटना के 24 घंटे के भीतर ही कोलकाता पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था. इस चार्जशीट में कहा गया है कि 9 अगस्त को क्राइम सीन से मिले छोटे बाल को जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा गया था.
रिपोर्ट में ये बाल संजय रॉय के बताए गए हैं. इस तरह से देखा जाए तो जो बात कोलकाता पुलिस ने करीब सवा दो महीने पहले कही थी, ठीक वही बात पूरे 58 दिनों बाद अब सीबीआई कह रही है. 9 अगस्त की सुबह जो कुछ हुआ उसकी जो कहानी अगले ही दिन यानी 10 अगस्त को कोलकाता पुलिस ने सुना दी थी, ठीक वही कहानी 58 दिन बाद अब सीबीआई सुना रही है. लगभग 100 गवाहों, 12 पॉलीग्राफ टेस्ट, सीसीटीवी कैमरों, फॉरेंसिक रिपोर्ट, मोबाइल की कॉल डिटेल और लोकेशन, ईयरफोन और आरोपी के बयान के बाद चार्जशीट फाइल की गई है.