राजधानी में प्रदूषण से लोगों का बुरा हाल, फिर क्यों अपनी पीठ थपथपा रही दिल्ली सरकार?

दिल्ली में प्रदूषण से लोगों का हाल बेहाल है। आज एयर क्वालिटी 350 के पार दर्ज किया गई है जिससे अभी भी प्रदूषण से लोगों को राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। दिल्ली की एयर क्वालिटी अब भी बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई और गुरुवार तक यही स्थिति रहने के आसार है। कई इलाकों में तो एक्यूआई 400 के पार जाता भी नजर आया।

आनंद विहार, जहांगीरपुरी, वजीरपुर, रोहिणी और मुंडका में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में रही। यहां एक्यूआई का स्तर 400 से ऊपर था। प्रदूषण की गंभीर स्थिति के बावजूद दिल्ली सरकार अपनी पीठ थपथपाती नजर आ रही है। सरकार का दावा है कि इस बार प्रदूषण की स्थिति वैसी नहीं है जैसी हर साल रहती है। इस साल प्रदूषण अभी भी गंभीर श्रेणी से बाहर हैं। इसके पीछे तीन बड़े फैक्टर भी बताए गए हैं जिनमें विंटर ऐक्शन प्लान भी एक है।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विंटर ऐक्शन प्लान, पराली का कम जलना और मौसम में तापमान का ना गिरना और हवा का चलते रहना, वह फैक्टर हैं जिनकी वजह से प्रदूषण गंभीर श्रेणी में नहीं पहुंचा।

गोपाल राय ने कहा, पिछले सालों के अगर प्रदूषण के स्तर को देखा जाए तो खासतौर से एक नवंबर के बाद से 15 नवंबर के बीच दिल्ली का एक्यूआई 400 के पार जाता रहा है। लेकिन इस साल अभी तक एक्यूआई गंभीर स्तर पर नहीं गया है। उन्होंने कहा, इसमें मुख्यतौर पर तीन फैक्टर हैं। विंटर ऐक्शन प्लान के जरिए जो तात्कालिन पहल की जा रही हैं चाहें वो डस्ट पलूशन को कंट्रोल करने के लिए ह या चाहे वो व्हीकल पलूशन को नियंत्रित करने के लिए हो। इसके अलावा पिछले सालों की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में भी कमी आई है। तीसरा फैक्टर यह है कि पिछले सालों की तुलना में अभी तापमान गर्म है। हल्की हवा चल रही है।

गोपाल राय ने आगे कहा, पहले तीन चीजें एक साथ होती थी। एक नवंबर के बाद ठंज बढ़ती थी। स्मॉग आता था। उस स्मॉग में पटाखों का पलूशन जुड़ता था। पराली का धुंआ भी जुड़ता था। इन तीन चीजों से एक लेयर बनती थी और प्रदूषण बढ़ता था।

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