दबंग चला रहे ग्राम पंचायत, अधिकारियों का नहीं है ध्यान।

  • आदिवासी महिला सरपंच भुमानीबाई आदिवासी ने बताया कि जब से वो सरपंच बनी है। तब से एक बार भी जनपद पंचायत नहीं गई है और न ही कभी ग्राम पंचायत भवन नहीं गई है।
  • पंचायत के किसी भी काम की जानकारी सचिव द्वारा सरपंच को नहीं दी जाती है। राशि का आहरण भी रोजगार सहायक और सचिव द्वारा अपने आप कर लिया जाता है।
  • सरपंच से यह भी जानकारी मिली है कि रोजगार सहायक और सचिव केवल हस्ताक्षर करवा के ले जाते है।
  • आपको बता दें कि सरपंच भुमानीबाई आदिवासी की इतनी दयनीय स्थिति है कि जब बेटे मजदूरी करके लाते हैं। तब उनके घर का चूल्हा जलता है और उनके परिवार को खाना नसीब होता है।
  • शासकीय उचित मूल्य की दुकान से 5 किलो गेहूं भी उन्हें नहीं मिलता है। उन्होंने बताया कि जबसे सरपंच बनी हैं तब से राशन कार्ड से नाम काट दिया है।
  • रोजगार सहायक बृजेश यादव कथित रूप से परिवार पर धौंस दिखाकर सरपंची चला रहा है और सरपंच भुमानीबाई अपने अधिकारों से वंचित है। सचिव पर भी आरोप लगाए गए हैं।
  • भले ही पंचायत मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने संकेत दिए हो कि सरपंच पति नहीं अब महिलाएं ही बनेगी आत्मनिर्भर, लेकिन यहां जमें आला अधिकारी इस खबर से अनजान बने बैठे है।
  • महिला सरपंच भुमानीबाई ने प्रशासन से मांग की है कि उन्हें उनका अधिकार दिया जाए। इस बारे में रोजगार सहायत और सचिव का पक्ष नहीं मिल सका है।

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