गरीब आदिवासी बच्चो का हक में डाला जा रहा है डाका उनके मुंह से छीना जा रहा है निवाला

किलेपाल बालिका छात्रावास की अधीक्षिका की मनमानी की शिकार हो रहे 150 बालिकाएं बच्चों को मिलने वाली भोजन के लिए जो राशि उन्हें मिलती हैं वो उन्हें पूरा नहीं होता इसलिए मैडम जी का फरमान है कि हर महीने हर एक बच्चा 250 रुपये खाने के लिए देंगे नहीतो गाली गलौज पे आ जाती हैं उनसे झाड़ू पोछा भी करवाया जाता है और सूखे परे मोटे मोटे पेड़ को जड़ से खोद कर निकलने कहाँ जाता हैं, और अगर उनकी बात नही मानी तो जंगल जाके लकड़ी लाकर खुद खाना बनाने कहाँ जाता है, सरकार से मिलने वाली साप्ताहिक तालिका के हिसाब से भोजन कभी नहीं दिया जाता है और साबुन तेल एवं टूथपेस्ट भी बच्चों को ही लाना पड़ता हैं ,आश्रम में बच्चे हमेशा डरे सहमे रहते है तो यैसे में बच्चो का विकास कहाँ हो पाएगा, इतनी यातना नही झेल पाने से एक बालिका ने आश्रम ही छोड़ दिया ,कौन लेगा इसकी जिम्मेदारी क्या इसी तरह से होगा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का सपना साकार ।

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