बिलासपुर। बरसात में मन कह रहा है कहीं घूम आते हैं तो झोझा जलप्रपात से बेहतर जगह नहीं हो सकती। 100 फीट की ऊंचाई से गिरता झरना, चट्टानें और चारों तरफ हरियाली मन को तरोताजा कर देगी। मन यहां पहुंचने के बाद यह चाहने लगता है कि प्रकृति की गोद में कुछ घंटे और बिता लें। यह जलप्रपात अपनी अद्वितीय सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है, जो सैलानियों को एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है। अब तो यहां पर्यटन विभाग ने पर्यटकों के ठहरने, पानी और शौचालय जैसी जरूरी सुविधाएं भी मुहैया करा दी है।
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में स्थित इस जलप्रपात की सुंदरता बरसात के मौसम में चरम पर होती है। यही कारण है कि धीरे-धीरे बड़े पर्यटन क्षेत्र के रूप में झोझा जलप्रपात की पहचान बनने लगी है। जलप्रपात काफी मनोरम है और लोग इसे देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। रविवार व शनिवार को यहां पर्यटक भोजन-नाश्ता लेकर पहुंचते हैं। झरने में स्नान के अलावा खूब मौज-मस्ती करते हैं। एक समय था, जब यह जलप्रपात स्थानीय पर्यटकों से गुलजार रहता था। अब दूसरे जिले से भी पर्यटकों की मौजूदगी होने लगी है।
यहां झरना तो परत में गिरता है। जिसे देखने के लिए पर्यटकों में काफी उत्साह रहता है। इसी कारण से अब धीरे-धीरे झोझा जलप्रपात में पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है। हालांकि वन विभाग प्रत्येक पर्यटकों को यह संभलकर रहने का सुझाव देता है। इसका कारण चट्टानें हैं। दरअसल जलप्रपात तक पहुंचने के लिए नीचे जाना पड़ता है। यहां सीढ़ी बनाने का प्रस्ताव भी है। आने वाले दिनों में यह सुविधा मिलेगी। कठिन डगर के बावजूद पर्यटक यहां पहुंचने से खुद को नहीं रोक पाते। यहीं कारण है कि पांच सालों में यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। इसे देखकर ही वन विभाग ने इस खूबसूरत स्थल को विकसित करने के लिए प्रस्ताव भी बनाया है।
जिला प्रशासन के अधिकारियों का भी यहां दौरा हुआ। जिसके बाद पर्यटन मंडल की टीम ने यहां सर्वे किया। इसे विकसित करने के लिए पर्यटन मंडल ने कुछ कार्य भी किए हैं। इसमें रूम, सोलर पैनल, बोर और शौचालय जैसी सुविधाएं हैं। आगे यहां कई महत्वपूर्ण कार्य की योजना है। जब यह पूरे हो जाएंगे, उसके बाद इसकी गिनती प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में होने लगेगी। झरने को लेकर यह कहा जाता है कि यहां गिरने वाला पानी हसदेव नदी में जाकर मिल जाता है।
झोझा जलप्रपात के इस क्षेत्र में एक जनवरी को माहौल देखने लायक रहता है। इस दिन मेला लगता है। दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं। इन पर्यटकों को मालूम है कि इस दिन यहां मेला लगता है। यहीं कारण है कि हर साल वर्ष के पहले दिन बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचकर खूब आनंद उठाते हैं।