याद दिलाने की जरूरत नहीं ओसामा कहां मिला था, किसने उसे शहीद कहा; भारत ने खोली PAK की पोल

नई दिल्ली. भारत के ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाया पाकिस्तान अब सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, भारत ने पाक की ओर से दागीं गईं मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की जमकर पोल खोली गई है। भारत ने दो टूक कहा है कि यह याद दिलाने की जरूरत नहीं है कि ओसामा बिन लादेन कहां मिला था और उसे किसने शहीद का दर्जा दिया था। बता दें कि अल-कायदा प्रमुख आतंकी ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद में परिवार के अन्य सदस्यों के साथ साल 2011 में मार गिराया था। उसने अमेरिका के सबसे वीभत्स आतंकी हमले 9/11 को अंजाम दिया था।

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा, “वैश्विक आतंकवाद के केंद्र के रूप में पाकिस्तान की प्रतिष्ठा कई उदाहरणों में निहित है… मुझे यह याद दिलाने की जरूरत नहीं है कि ओसामा बिन लादेन कहां पाया गया था और किसने उसे शहीद कहा था। पाकिस्तान बड़ी संख्या में संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों और कई देशों द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों का भी घर है। आपने पिछले कुछ दिनों में देखा होगा कि उनके रक्षा मंत्री और पूर्व विदेश मंत्री ने ऐसे आतंकवादी समूहों के साथ अपने देश की संलिप्तता को स्वीकार किया है।”

विदेश सचिव ने आगे कहा कि जब UNSC में पहलगाम के बारे में चर्चा चल रही थी, तब पाकिस्तान ने TRF (द रेजिस्टेंस फ्रंट) की भूमिका का विरोध किया था। ऐसा तब हुआ जब टीआरएफ ने एक बार नहीं, बल्कि दो बार हमले की जिम्मेदारी ली। कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर सिंह ने कल और आज भी साफ तौर पर कहा कि भारत की प्रतिक्रिया गैर-बढ़ाने वाली, सटीक और नपी-तुली है। हमारा इरादा मामले को बढ़ाने का नहीं है और हम केवल उनका जवाब दे रहे हैं। किसी भी सैन्य लक्ष्य को निशाना नहीं बनाया गया है; केवल पाकिस्तान में आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाया गया है।”

पाकिस्तान के इस दुष्प्रचार पर कि उसने भारतीय विमानों को मार गिराया, विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। आखिरकार, यह एक ऐसा देश है जिसने अपने जन्म के साथ ही झूठ बोलना शुरू कर दिया था। 1947 में जब पाकिस्तानी सेना ने जम्मू-कश्मीर पर दावा किया, तो उन्होंने किसी अनजान व्यक्ति से नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र से झूठ बोला कि हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है… इसलिए यह यात्रा 75 साल पहले शुरू हुई थी।

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