दिवाली का पर्व धनतेरस से शुरू होता है। यह कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि है। इस दिन धनवंतरी और कुबेर जी और माता लक्ष्मी की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन प्रदोष काल में इन तीनों का पूजन किया जाता है। इस दिन भगवान धनवंतरी अमृतकलश लेकर आए थे। धनतरेस के दिन खरीददारी को शुभ माना गया है। धनतेरस के दिन यम देवता, भगवान कुबेर के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन सोना-चांदी के सिक्के, आभूषण, बर्तन आदि खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। भगवान धन्वंतरि आरोग्यता के देवता हैं और इनकी पूजा-अर्चना करने से अच्छी सेहत और रोगों से मुक्ति मिलती है।
धनतेरस पर प्रदोष काल पूजा के शुभ मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी मंगलवार को सुबह 10 बजकर 32 मिनट से शुरू होगी । 29 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसमें खरीददारी करना शुभ है। धनतेरस की पूजा शाम को होती है। इसलिए पूजा का मुहूर्त प्रदोष काल का रहेगा। शाम को 06 बजकर 36 मिनट से 08 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इसमें पूजा करना और खरीदारी करना बहुत ही शुभ है।