अमेरिका में इस साल मच्छरों की वजह से फैलने वाले दुर्लभ वायरस से एक व्यक्ति की मौत हो गई है. घटना न्यू हैंपशायर की है. जहां पिछले एक दशक में ऐसा मामला नहीं आया था. अमेरिका में इस साल ट्रिपल ई वायरस के संक्रमण का यह पांचवां मामला है. यह वायरस अत्यधिक रेयर लेकिन जानलेवा है.
अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि न्यू हैंपशायर, मैसाच्युसेट्स समेत आसपास के राज्यों में मच्छर जनित ट्रिपल ई वायरस का संक्रमण फैला हुआ है. इन राज्यों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. आइए जानते हैं पहले इस वायरस के बारे में…
EEEV यानी ईस्टर्न एक्विन इंसेफलाइटिस वायरस को लोग ट्रिपल ई के नाम से भी बुलाते हैं. 1938 में खोजे गए इस वायरस का संक्रमण बेहद दुर्लभ लेकिन खतरनाक है. तब से लेकर अब तक न्यू हैंपशायर में 118 लोग संक्रमित हो चुके हैं. इसकी वजह से अब तक 64 लोगों की मौत भी हो चुकी है. इंसानों में यह वायरस सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर हमला करता है. जिसकी वजह से दिमाग में सूजन आ जाती है. दर्द होता है.
यह वायरस उत्तरी अमेरिका और कैरिबियन में मिला था. अमेरिका में ये सबसे पहले पूर्वी और खाड़ी के तटीय राज्यों के लोगों में मिला. येल यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एसोसिएट रिसर्च साइंटिस्ट वेरिटी हिल ने कहा कि यह कई तरह की पक्षियों की प्रजाति से मच्छरों में होते हुए इंसानों तक पहुंचता है. इस वायरस को आमतौर पर ब्लैक-टेल्ड मॉसक्वीटो (Black-Tailed Mosquito) लेकर घूमता है. ज्यादातर पूर्वी अमेरिका, मेक्सिको और कैरिबियन में ही इसके मामले सामने आते हैं.
जंगलों के बीच मौजूद कीचड़ में रहने या प्रवास करने वाले पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों में यह वायरस पाया जाता है. मच्छरों की कुछ प्रजातियां जो इंसानों और अन्य स्तनधारी जीवों को ट्रिपल ई वायरस से संक्रमित करते हैं. ये मच्छर संक्रमित पक्षियों को काटते हैं, वहां से खून के साथ वायरस ले लेते हैं. फिर इंसानों में इंजेक्ट कर देते हैं.
पक्षियों की तुलना में इंसान और घोड़े इस वायरस का डेड-एंड होस्ट होते हैं. यानी इसके बाद वायरस किसी और तक नहीं पहुंचता. अगर इससे संक्रमित इंसान को मच्छर फिर से काटे तो वह दोबारा वायरस को लेकर नहीं घूमता. यानी एक बार संक्रमण फैलाने के बाद वो इंसानों से वायरस लेकर किसी और को संक्रमित नहीं कर सकते.
ट्रिपल ई वायरस से संक्रमित होने वाले इंसान में बुखार, सिरदर्द, उलटी आना, डायरिया, सीजर अटैक, व्यवहार में बदलाव, थकान, नींद लगे रहना, फोकस बिगड़ना होता है. गंभीर अवस्था में दिमाग सूज जाता है. जिसे इंसेफलाइटिस कहते हैं. इसका पता करने के लिए लक्षणों को देखा जाता है. या फिर रीढ़ की हड्डी में मौजूद मैरो और खून की जांच की जाती है. अगर उनमें एंटीबॉडीज बनी हैं, तो आप संक्रमित हैं.
अमेरिका में इस साल अब तक 5 केस आ चुके हैं. मैसाच्युसेट्स, न्यूजर्सी, वरमॉन्ट, विसकॉन्सिन और न्यू हैंपशायर में. मैसाच्युसेट्स के ऑक्सफोर्ड में साल 2020 के बाद पहली बार 80 साल का एक व्यक्ति इससे इस साल पहली बार संक्रमित हुआ. इस साल अब तक सिर्फ एक ही मौत हुई है, वो भी न्यू हैंपशायर में.
ट्रिपल ई वायरस इंसानों को कम ही होता है. 2003 से 2023 तक अमेरिका में 196 केस सामने आए हैं. हर साल करीब 11 केस सामने आते हैं. इस वायरस का सबसे खतरनाक संक्रमण 2019 में फैला था, तब 38 केस सामने आए थे. जिसमें 12 लोगों की मौत हुई थी.