यूपी में विभिन्न नदियों ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है।

यूपी में विभिन्न नदियों ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। सबसे ज्यादा गंगा में उफान दिखाई दे रहा है। गंगा बलिया में खतरे के निशान को पार कर गई हैं। वाराणसी में भी कई घाटों को पार करते हुए गंगा गलियों से होते हुए सड़क पर आ रही हैं। वाराणसी का सबसे लोकप्रिय घाट बन चुका नमो घाट भी पूरी तरह गंगा के पानी के आगोश में आ गया है। दो दिनों के लिए वाराणसी में क्रूज का भी संचालन फिलहाल बंद कर दिया गया है। नाव पहले से बंद हैं। गंगा आरती छत पर हो रही है और शवदाह के लिए लोगों को परेशान होना पड़ रहा है।

वाराणसी में बुधवार तक छह सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही गंगा फिलहाल एक सेमी की रफ्तार पर आ गई हैं। राजघाट मीटर गेज पर जलस्तर 69.24 मीटर पर पहुंच गया है। यह चेतावनी बिंदु से एक मीटर नीचे है। 70.262 मीटर चेतावनी बिंदु और खतरे का निशान 71.262 मीटर पर है। नगर में गंगा व वरुणा के नवविकसित इलाकों में पानी तेजी से घुसने लगा है। सामने घाट व आसपास के 100 से ज्यादा मकानों पर बाढ़ का खतरा गहराने लगा है। ग्रामीण इलाकों के ढाब क्षेत्र में पानी खेतों से होते हुए बस्तियों में घुसने को आतुर है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक प्रयागराज में गंगा स्थिर, लेकिन अगले 24 घंटे बाद बढ़ाव की संभावना फिर से है।

पहले बात बलिया के बाढ़ की करते हैं। बलिया में गायघाट गेज पर बुधवार की आधी रात गंगा अपने खतरा बिंदु 57.615 मीटर को पार कर गईं। नदी में अब भी 10 सेमी प्रति घंटे का तीव्र बढ़ाव हो रहा है। गंगा नदी के बाढ़ का पानी खेतों को डूबोता हुआ अब रिहायसी इलाको का रुख कर लिया है। इसके बाद बाढ़ प्रभावित गांवों के लोगो में अफरातफरी का माहौल बन गया है। आयोग के अनुसार गुरुवार दोपहर 12 बजे गंगा का जल स्तर 58.280 मीटर दर्ज किया गया। नदी अब अपने मीडियम फ्लड 58.615 मीटर की ओर तेजी से बढ़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार दोपहर बाद इसकी रफ्तार में नरमी आने की संभावना जतायी गयी है जबकि बढ़ाव का क्रम अभी बना रहेगा।

उधर वाराणसी में गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ाव का प्रभाव वरुणा किनारे के इलाकों में दिखने लगा है। पलट प्रवाह के कारण वरुणा किनारे के रिहायशी इलाकों में भी गंगा जल प्रवेश कर गया। वरुणा की तटवर्ती बस्तियों से पलायन भी शुरू हो गया है। मंगलवार की रात शीतला मंदिर की सीढ़ियों तक पहुंचा पानी बुधवार को गर्भगृह को डुबोते हुए मंदिर की छत तक पहुंच गया। मणिकर्णिका घाट की गली तक बाढ़ का पानी आ चुका है। अस्सी घाट पर सुबह-ए-बनारस का मंच पानी में डूब गया है।

शीतला मंदिर में गंगा के प्रवेश के चलते बुधवार को मां शीतला के मुखौटे को आरती के बाद अहिलेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित कर दिया गया। जलस्तर कम होने तक अब नित्य यहीं पूजन-अर्चन और दर्शन होगा। हरिश्चंद्र घाट भी पूरी तरह जलमग्न हो चुका है। वहां अंतिम संस्कार गली में किया जा रहा है।

गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण सभी क्रूज का परिचालन बुधवार से बंद कर दिया गया। अलकनंदा क्रूजलाइन के निदेशक विकास मालवीय ने कहा कि पर्यटकों की सुरक्षा के मद्देनजर सभी क्रूज के संचालन को रोकने का निर्णय लिया गया है। जलस्तर की मॉनिटरिंग की जा रही है। परिस्थितियां पूरी तरह अनुकूल होने के बाद ही क्रूज चलेंगे।

श्मशान घाटों पर शवदाह के लिए स्थान का संकट हो गया है। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्रघाट पर शवदाह के लिए चार से पांच घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। मणिकर्णिका घाट की छत पर चिताएं जल रही हैं जबकि हरिश्चंद्र घाट के ठीक ऊपर गली में शवदाह बुधवार शाम से शुरू हो गया। जगह कम होने से अंतिम संस्कार में परिजनों को परेशानी हो रही है।

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