विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित विनायक चतुर्थी का व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस बार मार्गशीर्ष मास की विनायक चतुर्थी का व्रत 24 नवंबर को मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार,इस दिन गणेश जी की पूजा करने से जीवन के संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि आती है, तो आइए इस पर्व से लेकर प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं-
कब है? विनायक चतुर्थी
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 24 नवंबर 2025, दिन सोमवार को सुबह 11 बजकर 04 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन 25 नवंबर 2025, दिन मंगलवार दोपहर 01 बजकर 11 मिनट पर होगा।
पंचांग को देखते हुए 24 नवंबर 2025 को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक
कैसे करें श्रीगणेश की पूजा ?
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
- पूजा घर को साफ कर व्रत का संकल्प लें।
- एक वेदी पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- उनके सामने एक घी का दीपक जलाएं।
- गणेश जी को रोली, अक्षत, लाल फूल और दूर्वा अर्पित करें।
- गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाए।
- पूजा के दौरान “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- विनायक चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें और अंत में कपूर या घी के दीपक से आरती करें।
- गणेश जी की पूजा में तुलसी पत्र का प्रयोग भूलकर भी न करें।
- विनायक चतुर्थी का धार्मिक महत्व
गणेश पुराण, पद्म पुराण और स्कंद पुराण में मार्गशीर्ष मास की विनायक चतुर्थी को विशेष सिद्धिप्रद बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन श्रीगणेश की पूजा करने वालों की मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। नए कार्यों की शुरुआत, शिक्षा, करियर, व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में आने वाली रुकावटों को दूर करने के लिए यह तिथि अत्यंत कल्याणकारी मानी जाती है। इस दिन की गई पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़कर मिलता है।