ऑपरेशन सिंदूर पर यह क्या बोल गए राजस्थान के सांसद

जयपुर. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के प्रमुख और राजस्थान की नागौर सीट से लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद विवादित बयान दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल किया है कि यह ऑपरेशन पहलगाम हमले से पहले ही क्यों नहीं किया गया। दूसरी बार के सांसद ने यह भी कहा कि कहीं भारत और पाकिस्तान में हमलों को लेकर मिलीभगत तो नहीं है।

हनुमान बेनीवाल बुधवार को जयपुर में शहीद स्मारक पर पुलिस भर्ती के अभ्यर्थियों के धरना प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे थे। अब यहां दिए गए भाषण का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। बेनीवाल ने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं कि ऑपरेशन सिंदूर आपको करना ही था तो एक महीना पहले कर देते कश्मीर में 27 लोगों (26) की जान तो नहीं जाती। अगर आपको उड़ी और पुलवामा के बाद सर्जिकल स्ट्राइक करना ही था तो पहले कर देते।’

पहले भी कई बार विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे बेनीवाल नहीं नहीं रुके। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच मिलीभगत का भी आरोप लगा दिया। उन्होंने कहा, ‘आप क्या वेट करते हैं कि 30 इधर के मरेंगे तो 40 हम उधर मार देंगे। कोई बात तो नहीं हो रखी आप लोगों की आपस में कोई। इस बात का भी देश की जनता जवाब मांग रही है। देश का नौजवान जवाब मांग रहा है।’

बेनीवाल ने बुधवार को अपने आवास पर मीडिया से बातचीत के दौरान ऑपरेशन सिंदूर का स्वागत भी किया। उन्होंने सेना की कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि हमें सेना पर गर्व है और इस घड़ी में सेना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार पीओके को वापस भारत में शामिल करे।

बेनीवाल ने एक्स पर दावा किया है कि उन्हें गुरुवार को सर्वदलीय बैठक में नहीं बुलाया गया है। उन्होंने छोटे दलों को नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘छोटे दलों को इस बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया ऐसे में यह सर्वदलीय बैठक कैसे हुई ? जब लोक सभा के सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक आयोजित की जाती है तो संसद में एक सांसद वाली भी हर पार्टी को आमंत्रित किया जाता है तब वो सर्वदलीय बैठक कही जाती है ऐसे में कल की बैठक का नाम सर्वदलीय बैठक क्यों रखा गया है? चूंकि हम आतंक के खिलाफ हर कार्यवाहीं में सरकार के साथ है और जिस उद्देश्य के लिए कल बैठक की जा रही है वो कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि राष्ट्रीय मुद्दा है ऐसे में सरकार को प्रत्येक दल की बात सुननी चाहिए।’

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